नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ( एनएचएआई ) द्वारा इस परियोजना को अंजाम दिया जा रहा है और इसके लिए नगर निगम में पेड़ काटने की अनुमति भी मांगी गई है। पर्यावरणविदों की मानें तो बीते दिनों शिवाजी नगर में एक बैठक हुई, जिसमें आंदोलन की रणनीति तय की गई।
भोपाल: अयोध्या बायपास के चौड़ीकरण को लेकर भोपाल में पर्यावरणप्रेमियों और स्थानीय नागरिकों का विरोध तेज हो गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत रत्नागिरि तिराहे से आसाराम तिराहे तक करीब 8 हजार पेड़ों की कटाई प्रस्तावित है।
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ( एनएचएआई ) द्वारा इस परियोजना को अंजाम दिया जा रहा है और इसके लिए नगर निगम में पेड़ काटने की अनुमति भी मांगी गई है। पर्यावरणविदों की मानें तो बीते दिनों शिवाजी नगर में एक बैठक हुई, जिसमें आंदोलन की रणनीति तय की गई।
इसमें तय किया गया कि 18 मई की शाम को अयोध्या बायपास पर एक बड़ा जन आंदोलन किया जाएगा। पर्यावरणविद् उमाशंकर तिवारी का कहना है कि विकास की आवश्यकता को नकारा नहीं जा सकता, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि हरियाली की बलि दी जाए। उन्होंने सुझाव दिया कि एनएचएआई को अपने प्रोजेक्ट में बदलाव करना चाहिए, जिससे पेड़ भी बचें और सड़क का विस्तार भी हो सके। एनएचएआई की योजना है कि इस रोड को सर्विस लेन सहित 10 लेन का बनाया जाए। इसके पीछे मुख्य वजह यह है कि इस मार्ग पर तीन ब्लैक स्पॉट चिन्हित हैं, जहां हर वर्ष 30 से 35 लोगों की सड़क हादसों में मौत हो जाती है।
हालांकि विरोध की आशंका को देखते हुए अथॉरिटी ने हाईकोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में कैविएट दायर कर दिया है ताकि किसी भी प्रकार की रोक से पहले उनका पक्ष सुना जाए। रत्नागिरि तिराहे पर बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए और पेड़ों को रक्षासूत्र बांधकर उन्हें बचाने का संकल्प लिया। इस कार्र्यक्रम की अगुआई श्रमिक नेता दीपक गुप्ता ने की। उन्होंने इसे सिर्फ पेड़ों की नहीं, बल्कि आमजन के अस्तित्व की लड़ाई बताया। उन्होंने कहा कि वे इन पेड़ों को कटने नहीं देंगे और यह आंदोलन लगातार जारी रहेगा। इधर, प्रशासन का कहना है कि अयोध्या बायपास के आसपास सिटी फॉरेस्ट विकसित करने की योजना पर काम किया जा रहा है, जिससे हरियाली की भरपाई संभव हो सके।