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Chhath Puja 2023 Date : छठ पर्व भगवान सूर्य की विशेष पूजा है, जानें 4 दिनों की विशेष पूजा के बारे में

लोक आस्था का पर्व छठ पूजा उत्तर भारत के निवासियों के जनजीवन का एक ऐसा अंग है जिसका इंतजार वे महीनों पूर्व से करते है।

By अनूप कुमार 
Updated Date

Chhath Puja 2023 Date : लोक आस्था का पर्व छठ पूजा उत्तर भारत के निवासियों के जनजीवन का एक ऐसा अंग है जिसका इंतजार वे महीनों पूर्व से करते है। इस पर्व के पूजा की तैयारियों के लिए श्रद्धालु पूरे मनोयोग से तैयारियां करते है। छठ पर्व भारत के पूर्वांचल खासकर बिहार में धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार 17 नवंबर से छठ पूजा की शुरुआत हो रही है। 20 नवंबर तक छठ पर्व मनाया जाएगा।

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सनातन धर्म में कार्तिक मास में भगवान सूर्य की पूजा की परंपरा है। छठ पूजा (Chhath Puja) हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि मनाई जाती है। कार्तिक मास में सूर्य अपनी नीच राशि में होता है, इसलिए सूर्य देव की विशेष उपासना की जाती है ताकि स्वास्थ्य की समस्याएं परेशान ना करें। दिवाली के बाद छठ सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है। नियमों के अनुसार छठ पूजा को संपन्न किया जाता है। छठ पूजा व्रत चार दिन तक किया जाता है

नहाय खाय : सबसे पहले दिन नहाने खाने की विधि होती है। जिसमें व्यक्ति को घर की सफाई कर स्वयं शुद्ध होना चाहिए और सिर्फ शुद्ध शाकाहारी भोजन ही करना चाहिए। पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेते हैं और जो भी छठ पर्व मनाता है वो पहले दिन सिर्फ एक समय भोजन करता है। इस बार 17 नवंबर 2023 को नहाए खाए की पूजा होगी।

खरना :  खरना में पूरे दिन उपवास रखते हैं और शाम को गुड़ की खीर, घी लगी हुई रोटी और फलों का सेवन करते हैं। इसके बाद व्रत प्रारंभ हो जाता है। इस साल 18 नवंबर 2023 को खरना है।

शाम का अर्घ्य : तीसरे दिन सूर्य षष्ठी को पूरे दिन उपवास रखकर शाम के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के लिए पूजा की सामग्रियों को लकड़ी के डाले में रखकर घाट पर ले जाना चाहिए। शाम को सूर्य को अर्घ्य देने के बाद घर आकर सारा सामान वैसी ही रखना चाहिए। इस दिन रात के समय छठी माता के गीत गाने चाहिए और व्रत कथा सुननी चाहिए। 19 नवंबर 2023 के दिन शाम के समय सूर्य को अर्घ्य देते हुए पूजा की जाएगी।

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सुबह का अर्घ्य : इसके बाद घर लौटकर अगले (चौथे) दिन सुबह-सुबह सूर्य निकलने से पहले ही घाट पर पहुंचना चाहिए। उगते हुए सूर्य की पहली किरण को अर्घ्य देना चाहिए। इसके बाद घाट पर छठ माता को प्रणाम कर उनसे संतान-रक्षा का वर मांगना चाहिए। अर्घ्य देने के बाद घर लौटकर सभी में प्रसाद बांटना चाहिए और खुद भी प्रसाद खाकर व्रत खोलना चाहिए। 20 नवंबर को छठ पर्व का आखिरी दिन है इस दिन व्रत रखने वाले लोग पारण करेंगे।

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