ईरान (Iran) का कहना है कि परमाणु अप्रसार संधि (Nuclear Non-Proliferation Treaty) से हटने का समय आ गया है। ईरान (Iran) के तरफ से अब तक का उठाया गया सबसे बड़ा कदम है। ईरान (Iran) ने एनपीटी (NPT) समझौतों से एकतरफा रूप से हटने के लिए कानूनी तैयारी शुरू कर दी है। ईरान (Iran) के इन समझौतों से बाहर निकलने के बाद, वह परमाणु ऊर्जा (Nuclear Energy) का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र हो जाएगा।
नई दिल्ली। ईरान (Iran) का कहना है कि परमाणु अप्रसार संधि (Nuclear Non-Proliferation Treaty) से हटने का समय आ गया है। ईरान (Iran) के तरफ से अब तक का उठाया गया सबसे बड़ा कदम है। ईरान (Iran) ने एनपीटी (NPT) समझौतों से एकतरफा रूप से हटने के लिए कानूनी तैयारी शुरू कर दी है। ईरान (Iran) के इन समझौतों से बाहर निकलने के बाद, वह परमाणु ऊर्जा (Nuclear Energy) का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र हो जाएगा।
JUST IN: 🇮🇷 Iran says it's time to withdraw from the Nuclear Non-Proliferation Treaty. pic.twitter.com/pl031UAJtm
— BRICS News (@BRICSinfo) June 15, 2025
बता दें कि ईरान (Iran) ने हाल ही में परमाणु अप्रसार संधि (NPT) से हटने की संभावना जताई है, जिसे उसकी संसद के राष्ट्रीय सुरक्षा आयोग ने समर्थन दिया है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब ईरान (Iran) और अमेरिका के बीच परमाणु वार्ता विफल होने की कगार पर है और इज़रायल द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर हाल के हमलों ने तनाव को और बढ़ा दिया है। ईरान (Iran) का कहना है कि वह 2015 के परमाणु समझौते (JCPOA) के तहत लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने की मांग करता है और वह किसी भी दबाव या धमकी के आगे नहीं झुकेगा। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई (Iran’s supreme leader Ayatollah Ali Khamenei) ने भी अमेरिका के साथ वार्ता को बेकार बताया है, और यूरेनियम संवर्धन को जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई है।
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने चिंता जताई है कि ईरान अपने परमाणु दायित्वों का पालन नहीं कर रहा है, और उसके पास 9,247.6 किलोग्राम यूरेनियम भंडार है, जिसमें 408.6 किलोग्राम 60% तक संवर्धित है, जो परमाणु हथियार बनाने के लिए पर्याप्त माना जाता है। ईरान ने 15 जून 2025 को ओमान में होने वाली अमेरिका के साथ परमाणु वार्ता भी रद्द कर दी है। इसके पीछे कई कारण हैं।
इज़रायल के हमले: इज़रायल ने ईरान के नतांज, इस्फहान, और फोर्डो जैसे परमाणु ठिकानों पर हमले किए, जिससे ईरान के परमाणु कार्यक्रम को भारी नुकसान हुआ। इन हमलों में शीर्ष परमाणु वैज्ञानिकों और सैन्य अधिकारियों की मौत ने ईरान को आक्रामक रुख अपनाने के लिए प्रेरित किया।
अमेरिका के साथ तनाव: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (US President Donald Trump) ने ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने के लिए सख्त रुख अपनाया है, और 2018 में JCPOA से हटने के बाद नए प्रतिबंध लगाए। ईरान इसे अपनी संप्रभुता पर हमला मानता है।
यूरोपीय देशों का दबाव: ब्रिटेन, फ्रांस, और जर्मनी ने IAEA के माध्यम से ईरान के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने की कोशिश की, जिसे ईरान ने संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों की बहाली की धमकी के रूप में देखा।
ईरान के इस रुख से मध्य पूर्व में तनाव और बढ़ सकता है, और विशेषज्ञों का मानना है कि यह क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक शांति के लिए खतरा पैदा कर सकता है। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि ईरान का NPT से हटना तीसरे विश्व युद्ध की आशंकाओं को बढ़ा सकता है, खासकर अगर इज़रायल और अमेरिका सैन्य कार्रवाई को और तेज करते हैं।