संत प्रेमानन्द महराज इन दिनों चर्चाओं में बने हुए हैं। महराज की दोनों किडनी खराब है। संत जी किडनी की गंभीर बीमारी पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज से जूझ रहे हैं। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें व्यक्ति की दोनों किडनियां खराब हो जाती है। इस बीमारी की वजह से प्रेमानंद महाराज को लगातार डायलिसिस कराना पड़ता है। उनकी इसी बीमारी के चलते हाल ही में एक युवक ने अपनी किडनी महाराज को देने की इच्छा जाहिर की थी, जिसके लिए उन्होंने इनकार कर दिया। दरअसल, इस बीमारी का एक ही इलाज है और वह किडनी ट्रांसप्लांट है।
संत प्रेमानन्द महराज इन दिनों चर्चाओं में बने हुए हैं। महराज की दोनों किडनी खराब है। संत जी किडनी की गंभीर बीमारी पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज से जूझ रहे हैं। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें व्यक्ति की दोनों किडनियां खराब हो जाती है। इस बीमारी की वजह से प्रेमानंद महाराज को लगातार डायलिसिस कराना पड़ता है। उनकी इसी बीमारी के चलते हाल ही में एक युवक ने अपनी किडनी महाराज को देने की इच्छा जाहिर की थी, जिसके लिए उन्होंने इनकार कर दिया। दरअसल, इस बीमारी का एक ही इलाज है और वह किडनी ट्रांसप्लांट है। आज हम जानेंगे किडनी ट्रांसप्लांट क्या है।
क्या है किडनी ट्रांसप्लांट?
एक डॉक्टर ने बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट एक मेडिकल प्रोसेस है, जिसमें किसी डोनर से मिली हेल्दी किडनी को उस व्यक्ति के शरीर में ट्रांसप्लांट किया जाता है, जिसकी किडनी अब ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। किडनी एक महत्वपूर्ण अंग हैं, जो खून से वेस्ट प्रोडक्ट और एक्स्ट्रा तरल पदार्थ को फिल्टर करती हैं। जब दोनों किडनी काम करना बंद कर देती हैं, जिसे किडनी डिजीज का लास्ट स्टेज कहा जाता है, तो मरीज को जीवित रखने के लिए डायलिसिस या ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है।
किसे होती है किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत?
डॉक्टर आमतौर पर किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह तब देते हैं, जब किडनी लगभग 85-90% काम करना बंद कर देती हैं और जीवित रहने के लिए डायलिसिस की जरूरत होती है। इसके सामान्य कारणों में डायबिटीज, किडनी में दीर्घकालिक संक्रमण या जेनेटिक किडनी की बीमारियां शामिल हैं। ट्रांसप्लांट को अक्सर आजीवन डायलिसिस की जगह प्राथमिकता दी जाती है, क्योंकि यह जीवन की गुणवत्ता में सुधार करता है और उम्र को लंबा बढ़ाता है।
कैसे होती है इसकी प्रोसेस?
यह प्रोसेस मरीज के डिटेल्ड मेडिकल चेकअप से शुरू होती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे सर्जरी के लिए फिट हैं। इसके लिए सही किडनी ढूंढना सबसे जरूरी कदम है। किडनी जीवित डोनर (जैसे परिवार के सदस्यों) या मृत डोनर से प्राप्त हो सकती है। सही किडनी चुनने के लिए, डॉक्टर ब्लड ग्रुप, टिश्यूज के टाइप (HLA मिलान) की जांच करते हैं और रिजेक्शन की संभावना को कम करने के लिए क्रॉस-मैच टेस्ट भी करते हैं।
कैसे होता किडनी का सिलेक्शन?
एक बार सही किडनी मिलने पर, डोनर की किडनी को पेट के निचले हिस्से में रखकर और उसे मरीज के ब्लड वेसल्स और मूत्राशय से जोड़कर सर्जरी की जाती है। ट्रांसप्लांट के बाद, शरीर द्वारा नई किडनी के रिजेक्शन को रोकने के लिए लाइफटाइम इम्यूनोसप्रेसेंट दवाएं (lifelong immunosuppressant medicines) लेनी पड़ती है। सही देखभाल और निगरानी के साथ, ट्रांसप्लांट किडनी कई वर्षों तक चल सकती है, जिससे मरीज एक स्वस्थ और ज्यादा एक्टिव जीवन जी सकते हैं।