पिछले कुक्झ दिनो से लगातार भारी बारिश के करना लोगों के लिए जिंदगी जीना किसी चुनौती से कम नहीं है। इसके वजह से इस मौसम में टाइफॉयड और डायरिया, मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों जैसे मलेरिया और डेंगू का खतरा बढ़ गया है। इसके अलावा सर्दी-जुकाम, बुखार और त्वचा पर रैशेज भी हो रही है। बरसात के मौसम में होने वाले कान के इंफेक्शन को मोस्टली लोग इग्नोर कर देते हैं । लेकिन आप इसे हल्के में ना लिए ये आपको भारी पड़ सकती हैं। आज हम आपकाे फंगल ईयर इंफेक्शन के बारे में विस्तार से जानकारी देने जा रहे हैं।
पिछले कुक्झ दिनो से लगातार भारी बारिश के करना लोगों के लिए जिंदगी जीना किसी चुनौती से कम नहीं है। इसके वजह से इस मौसम में टाइफॉयड और डायरिया, मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों जैसे मलेरिया और डेंगू का खतरा बढ़ गया है। इसके अलावा सर्दी-जुकाम, बुखार और त्वचा पर रैशेज भी हो रही है। बरसात के मौसम में होने वाले कान के इंफेक्शन को मोस्टली लोग इग्नोर कर देते हैं । लेकिन आप इसे हल्के में ना लिए ये आपको भारी पड़ सकती हैं। आज हम आपकाे फंगल ईयर इंफेक्शन के बारे में विस्तार से जानकारी देने जा रहे हैं।
फंगल ईयर इंफेक्शन क्या है?
फंगल ईयर इंफेक्शन ज्यादातर आपके बाहरी कान (Ear Canal) को प्रभावित करता है। ये तब होता है जब एस्परगिलस (Aspergillus) और कैंडिडा (Candida) जैसे फंगस कान में पनपने और फैलने लगते हैं। ये फंगस गर्म तापमान में जल्दी बढ़ते हैं, इसलिए फंगल ईयर इंफेक्शन ज्यादातर गर्मियों में होता है। ये इंफेक्शन बिना इलाज के आमतौर पर ठीक नहीं होता है।
फंगल ईयर इंफेक्शन आमतौर पर ईयर कैनाल (जो बाहरी कान से शुरू होकर कान के परदे तक जाता है) को प्रभावित करता है। हालांकि, कभी-कभी ये मिडिल ईयर पर भी बुरा असर डालता है। लेकिन ये बहुत ही कम होता है। गर्म और उमस भरे मौसम (मानसून) में फंगल ईयर इंफेक्शन ज्यादा होता है। इसे ओटोमाइकोसिस (Otomycosis) और फंगल ओटिटिस एक्सटर्ना (Fungal Otitis Externa) भी कहते हैं।
फंगल ईयर इंफेक्शन के लक्षण
फंगल ईयर इंफेक्शन एक या दोनों कानों में हो सकता है। इसके लक्षण अलग-अलग लोगों में अलग हो सकते हैं, जैसे-
– कान में दर्द
– कान या ईयर कैनाल का रंग बदलना (लाल, पीला, बैंगनी या ग्रे)
– तेज खुजली होना
– कान के आसपास की त्वचा का झड़ना
– दर्द या जलन महसूस होना
– कान के आसपास सूजन
– कान से पीला, हरा, काला, सफेद या ग्रे रंग का लिक्विड निकलना
– कान में आवाज आना
– कान भारी लगना
– सुनने में कमी होना
– चक्कर आना
– बुखार होना
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