लोकसभा में चुनाव सुधार पर चर्चा की शुरुआत कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी (Congress MP Manish Tewari) ने की। मनीष तिवारी (Manish Tewari) ने कहा कि देश में निष्पक्ष चुनाव कराए जाने समय की मांग हैं। उन्होंने संविधान के तहत चुनाव आयोग को मिले अधिकारों का जिक्र करके हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Former Prime Minister Rajiv Gandhi) की सरकार के कार्यकाल में सबसे बड़े चुनावी सुधार हुए।
नई दिल्ली। लोकसभा में चुनाव सुधार पर चर्चा की शुरुआत कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी (Congress MP Manish Tewari) ने की। मनीष तिवारी (Manish Tewari) ने कहा कि देश में निष्पक्ष चुनाव कराए जाने समय की मांग हैं। उन्होंने संविधान के तहत चुनाव आयोग को मिले अधिकारों का जिक्र करके हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Former Prime Minister Rajiv Gandhi) की सरकार के कार्यकाल में सबसे बड़े चुनावी सुधार हुए। मनीष तिवारी (Manish Tewari) ने कहा, चुनाव आयोग (Election Commission) को पूरे राज्यों में एसआईआर नहीं कराए जा सकते। उन्होंने कहा कि 1988 में कांग्रेस सरकार ने इतिहास का सबसे बड़ा सुधार कराया। उन्होंने आरोप लगाया कि आज चुनाव आयोग (Election Commission) केंद्र के निर्देश पर काम कर रहा है। ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करते हुए तिवारी ने कहा कि इन मशीनों का सोर्स कोड किसी और कंपनी के पास होना चिंताजनक है।
कांग्रेस सांसद ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में जब स्वाधीनता संग्राम लड़ा गया, तो उसके दो बुनियादी लक्ष्य थे। सबसे पहला लक्ष्य था कि भारत को आजाद करवाया जाए और दूसरा भारत को एक लोकतांत्रिक देश के रूप में परिवर्तित करके लोगों की जो आशाएं हैं, उनके अनुरूप उन्हें सरकार बनाने का मौका दिया जाए। उन्होंने कहा, जो संविधान के निर्माता थे, उन्होंने राष्ट्रनिर्माण में उस उर्जा को समर्पित किया, तो संविधान की प्रस्तावना में उन्होंने दो अहम बातें कहीं। सबसे पहले जो संविधान निर्माताओं ने भारत के संविधान की प्रस्तावना में यह सुनिश्चित किया कि भारत एक संप्रभु और लोकतांत्रिक गणराज्य के तौर पर गठित किया जाएगा और जब संविधान का 42वां संशोधन हुआ तो उस प्रस्तावना में दो और शब्द जोड़े गए- समाजवाद और पंथनिरपेक्षता। उस स्वरूप में आज 2025 में गणतंत्र है।
‘पूर्व पीएम राजीव गांधी ने किया सबसे बड़ा सुधार’
भारत के लोकतंत्र में दो सबसे बड़े भागीदार हैं। एक 98 करोड़ आवाम (जनता) जो मतदान करती है और दूसरा भारत के राजनीतिक दल, जो विशेष तौर पर उस चुनाव में हिस्सा लेते हैं। संविधान के निर्माताओं ने यह सुनिश्चित किया कि 1946 से लेकर 1949 तक कि धर्म, जाति, मजहब, फिरका सबसे ऊपर उठकर हर भारत को नागरिक को जो 21 साल की उम्र से ज्यादा है, उसे मतदान का हक दिया जाए। यह उस समय हुआ, जब बहुत सारे ऐसे देश थे, जहां पर मतदान का हक एक बहुत ही संकीर्ण तौर दिया जाता था। तिवारी ने आगे कहा कि आज मुझे कहने में कोई संकोच नहीं है कि पिछले 78 साल में अगर सबसे बड़ा कोई चुनाव सुधार हुआ वह भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Former Prime Minister Rajiv Gandhi) ने किया।
उन्होंने आगे कहा कि उस समय में एनएसयूआई का राष्ट्रीय अध्यक्ष था, उन्होंने हमारी मांग पर करोड़ों- करोड़ों भारत के नौजवानों को मत का अधिकार दिया। जब मतदान की सीमा 21 से घटाकर 18 वर्ष की गई। इससे बड़ा चुनाव सुधार पिछले 78 वर्ष में इस मुल्क और कोई नहीं हुआ। जब संविधान की रचना हो रही थी, यह सारा लोकतंत्र का ताना-बना है, इसको चलाने के लिए तटस्थ संस्था भी चाहिए थी और संविधान निर्माताओं ने चुनाव आयोग का गठन किया। उस समय चर्चा चली कि क्या चुनाव आयोग (Election Commission) एक स्थायी संस्था होनी चाहिए या अस्थायी संस्था होनी चाहिए।
‘एक देश-एक चुनाव का कोई औचित्य नहीं’
उन्होंने आगे कहा, देश में एक देश-एक चुनाव पर बहस चल रही है। लेकिन अगर आप संविधान सभा की जो कार्यवाही हैं, उनको संज्ञान में लें तो संविधान निर्माताओं ने यह देख लिया था कि भारत में दस-बारह साल बाद अलग-अलग समय पर अलग अलग राज्यों में चुनाव होंगे, तो इससे बड़ा प्रश्न खड़ा होता है कि ये एक देश चुनाव का कोई औचित्य बचता है कि नहीं। इसके ऊपर चर्चा करने की जरूरत है, क्योंकि संविधान के जो निर्माता थे, उन्होंने इसे अपने संज्ञान में लेकर उस समय कहा था कि अलग-अलग समय पर चुनाव होते रहेंगे।
ईवीएम पर उठाए सवाल
उन्होंने कहा कि यह जो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) है। लोकतंत्र एक भरोसे पर चलता है और वह भरोसा क्या है कि 98 करोड़ लोग जाकर लाइन में खड़े होते हैं, पांच पांच सात-सात घंटे तक धूप में खड़े होते हैं। आप राजस्थान से आते हैं। आप जानते हैं कि कैसी चिलचिलाती गर्मी रहती है मई जून में। उसको (मतदाता) यह भरोसा होना चाहिए कि वह जो वोट डाल रहा है, वह सही जगह जा रहा है कि नहीं। आज इस देश में बहुत लोगों को यह चिंता है।
कांग्रेस सांसद ने कहा कि मैं यह नहीं कह रहा है कि ईवीएम से छेड़छाड़ हो रही है। मैं यह कह रहा हूं कि लोगों को इस बात की चिंता कि ईवीएम (EVM) में छेड़छाड़ हो सकती है। जब आवाम का भरोसा लोकतंत्र में टूटता है, तो अराजकता फैलती है। इसलिए यह बहुत जरूरी है। मैंने सदन में सवाल पूछा था कि यह ईवीएम (EVM) का सोर्स कोड किसके पास है। यह क्या उन कंपनियों के पास है, जो ईवीएम (EVM) बनाती हैं या यह चुनाव आयोग के पास है। ईवीएम (EVM) का सोर्स कोड किसके पास है। मुझे अब तक इस पर जवाब नहीं मिला है।
उन्होंने आगे कहा कि मैं पूछना चाहता हूं कि सरकार चुनाव आयोग से यह बात पूछकर हम लोगों को बतानी चाहिए कि क्या उसका सोर्स कोड जो मदरबोर्ड में प्रोग्राम होता है, उनके पास है या उनके पास है जो मशीनें बनाते हैं। मैं बहुत जिम्मेदारी से यह बात कह रहा हूं कि लोगों में जो आशंका है, इसको हल करने के दो ही तरीके हैं। या तो सौ फीसदी वीवीपीएटी (VVPAT) की गणना हो या जो उससे बढ़िया समाधान है कि हमको मतपत्रों पर वापस चले जाना चाहिए। बहुत सारे ऐसे देश हैं, जिन्होंने ईवीएम (EVM) का उपयोग किया था..जापान, जर्मनी, अमेरिका, वो सब मत पत्रों पर वापस क्यों चले गए। क्या कारण था कि वे मत पत्र पर वापस चले गए। वह कारण यह था कि ईवीएम मशीन में छेड़छाड़ की जा सकती है।