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चुनाव में खेल! EVM की दोबारा गिनती में सुप्रीम कोर्ट ने पलटी बाजी, तीन साल बाद 51 वोटों से जीतकर मोहित कुमार बने सरपंच

EVM मशीनों ने गांव की आवाज ठीक से नहीं सुनी। हरियाणा के बुआना लाखू गांव सरपंच उम्मीदवार मोहित कुमार का यह शक देश की सबसे ऊंची अदालत के तरफ से 11 अगस्त को सुनाए गए फैसले में शत-प्रतिशत सच साबित हुआ। दो वर्ष 10 माह पूर्व पानीपत में हुए सरपंच के चुनाव के परिणाम को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ ने बदल दिया है।

By संतोष सिंह 
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नई दिल्ली। EVM मशीनों ने गांव की आवाज ठीक से नहीं सुनी। हरियाणा के बुआना लाखू गांव सरपंच उम्मीदवार मोहित कुमार का यह शक देश की सबसे ऊंची अदालत के तरफ से 11 अगस्त को सुनाए गए फैसले में शत-प्रतिशत सच साबित हुआ। दो वर्ष 10 माह पूर्व पानीपत में हुए सरपंच के चुनाव के परिणाम को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ ने बदल दिया है। पीठ के इस फैसले से देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था ने इस बार एक नया मुकाम छू लिया है, जब ग्राम पंचायत स्तर के चुनाव की गूंज सीधे सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की चौखट तक पहुंची।

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इस फैसले से साबित हो गया कि अब चुनावी लड़ाइयां सिर्फ गांव की चौपालों में नहीं, बल्कि संविधान की सबसे ऊंची अदालत में तय होती हैं। मोहित कुमार का सरपंची का ताज पहनने की जिद ने चुनावी व न्याय व्यवस्था की परतें तक खोलकर रख दीं। ग्राम पंचायत चुनाव में हार-जीत आम बात है लेकिन यहां बात आम नहीं रही। 2 नवंबर 2022 को हुए चुनाव में कुलदीप सिंह को विजेता घोषित कर दिया गया, लेकिन प्रतिद्वंद्वी मोहित कुमार इस फैसले से संतुष्ट नहीं हुए उन्हें शक था कि EVM मशीनों ने गांव की आवाज ठीक से नहीं सुनी।

मोहित कुमार ने पहले तो पानीपत के अतिरिक्त सिविल जज और इलेक्शन ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया। वहां से 22 अप्रैल 2025 को पुनर्गणना के आदेश मिले। लेकिन पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने इस आदेश को उलट दिया। अब तक किसी को भी अंदाजा नहीं था कि बात कहां तक जाएगी लेकिन मोहित कुमार ने तय कर लिया था कि अगर पंचायत भवन नहीं मिला तो सुप्रीम कोर्ट से जरूर मिलेगा और फिर आया वो दिन 6 अगस्त 2025, जब भारत की सबसे बड़ी अदालत में EVM मशीनें लाई गईं। ठीक वैसे जैसे किसी ऐतिहासिक साक्ष्य को पेश किया जाता है। अदालत ने आदेश दिए कि पुनर्गणना सुप्रीम कोर्ट परिसर में हो और गिनती कोर्ट की OSD कावेरी करें। मतगणना की वीडियो रिकॉर्डिंग भी कराई गई ताकि कोई कह न सके कि पर्दे के पीछे कुछ और खेल हो गया।

सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम की दोबारा गिनती के बाद हारा हुआ प्रत्याशी 51 वोटों से विजयी घोषित किया गया। इसके बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रखते हुए 11 अगस्त की तारीख दी। 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के न्यायमूर्ति सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और एनके सिंह की पीठ ने मोहित को विजयी घोषित कर जिला प्रशासन को दो दिन में शपथ दिलाने का आदेश दिया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि ओएसडी (रजिस्ट्रार) द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर संदेह करने का प्रथम दृष्टया कोई कारण नहीं है। विशेष रूप से जब पूरी पुनर्गणना की उचित रूप से वीडियोग्राफी की गई है।

मतगणना हुई और कुल 3,767 वोट गिने गए। नतीजा पलट गया मोहित कुमार को मिले 1051 वोट जबकि पहले विजयी घोषित किए गए कुलदीप सिंह को सिर्फ 1000। शेष वोट बाकी उम्मीदवारों में बंट गए। सुप्रीम कोर्ट ने पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बताते हुए रिपोर्ट को स्वीकार किया और आदेश दिया कि मोहित कुमार को दो दिन के अंदर निर्वाचित घोषित किया जाए। अदालत ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि अगर अब भी किसी को कुछ कहने की इच्छा हो तो वह चुनाव ट्रिब्यूनल (Election Tribunal) में जाकर दिल की भड़ास निकाल सकता है।

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सुप्रीम कोर्ट ने दो महीने में ही अपनी निगरानी में ईवीएम खुलवाई और आदेश भी सुना दिया। यह अपने तरह का देश का पहला मामला बताया जा रहा है। गुरुवार को पानीपत जिले के इसराना बीडीओ कार्यालय में मोहित को बुआना लाखु के सरपंच पद की शपथ दिलाई जाएगी।

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