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ऐतिहासिक गुरुद्वारा बना खालिस्तानियों की करतूतों का शिकार, इंडो-कैनेडियन समुदाय में भारी आक्रोश

Canada Gurdwara Attack: कनाडा में अब तक हिंदू धार्मिक स्थलों को निशान बना रहे खालिस्तानी समर्थकों ने एक ऐतिहासिक गुरुद्वारे को भी बख्शा है। यहां पर शनिवार को वैंकूवर में खालसा दीवान सोसायटी (KDS) के रॉस स्ट्रीट गुरुद्वारे की दीवारों पर खालिस्तान समर्थक और भारत विरोधी भड़काऊ ग्राफिटी लिखे गए। जिसके विरोध में इंडो-कैनेडियन समुदाय के लोग एक जुट नजर आ रहे हैं। 

By Abhimanyu 
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Canada Gurdwara Attack: कनाडा में अब तक हिंदू धार्मिक स्थलों को निशान बना रहे खालिस्तानी समर्थकों ने एक ऐतिहासिक गुरुद्वारे को भी बख्शा है। यहां पर शनिवार को वैंकूवर में खालसा दीवान सोसायटी (KDS) के रॉस स्ट्रीट गुरुद्वारे की दीवारों पर खालिस्तान समर्थक और भारत विरोधी भड़काऊ ग्राफिटी लिखे गए। जिसके विरोध में इंडो-कैनेडियन समुदाय के लोग एक जुट नजर आ रहे हैं।

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घटना को लेकर खालसा दीवान सोसायटी (KDS) के रॉस स्ट्रीट गुरुद्वारे में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें गुरुद्वारे के पदाधिकारियों के साथ-साथ हिन्दू मंदिरों, अन्य गुरुद्वारों और सामुदायिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। शनिवार को इसी तरह की तोड़फोड़ के शिकार हुए संगठनों ने भी इस बैठक में हिस्सा लिया। जिनमें सरे स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर के पदाधिकारी भी शामिल रहे, जिसकी दीवारों पर भी ऐसे ही ग्राफिटी पाई गई थी।

इस बैठक के बाद खालसा दीवान सोसायटी के उपाध्यक्ष जगदीप सिंह संघेरा ने एक बयान में कहा कि वह वैंकूवर पुलिस विभाग के सहयोग के लिए आभारी हैं। उन्हें विश्वास है कि पुलिस इस निंदनीय घटना के दोषियों को जल्द ही गिरफ्तार करेगी। बता दें कि खालसा दीवान सोसायटी की स्थापना 1906 में हुई थी। इस घटना के पीछे खालिस्तानी कट्टरपंथियों का हाथ होने की बात कही जा रही है।

गुरुद्वारे के रिकॉर्डिंग सेक्रेटरी जोगिंदर सुनर ने बताया कि घटना के बाद से गुरुद्वारे की सुरक्षा के लिए पुलिस द्वारा चौबीसों घंटे की सुरक्षा प्रदान की जा रही है। लक्ष्मी नारायण मंदिर के प्रवक्ता परशोत्तम गोयल ने बैठक में कहा कि समुदाय आक्रोशित है। कोई हमारे बीच की सद्भावना को नुकसान पहुंचाना चाहता है। हमारे नजरिए से यह एक नफरत से जुड़ा अपराध है।”

गोयल ने यह भी बताया कि मंदिर प्रबंधन इस विषय में सरे पुलिस सेवा के अधिकारियों से मिलने की तैयारी कर रहा है। उन्होंनी आरोप लगाया कि इस तरह की घटनाएं इसलिए हो रही हैं क्योंकि पूर्व पीएम जस्टिन ट्रूडो की सरकार ने ऐसे कट्टरपंथी तत्वों को “स्थान” दिया। उन्होंने उम्मीद जताई कि आगामी 28 अप्रैल को होने वाले संघीय चुनाव में नई सरकार ऐसे तत्वों पर सख्ती से कार्रवाई करेगी।

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