भारतीय वायुसेना (Indian Air Force), देश की पाकिस्तान और चीन से लगने वाली सीमाओं को दुरुस्त करने में लगी है। जम्मू-कश्मीर में लड़ाकू विमानों की तैनाती के बाद वायुसेना ने एक और बड़ा कदम उठाया है। भारत विरोधी देश पाकिस्तान और चीन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए वायुसेना ने अपने लैटेस्ट हेरॉन मार्क-2 ड्रोन (Heron Mark-2 Drone) तैनात कर दिए हैं।
Heron Mark-2 Drone : भारतीय वायुसेना (Indian Air Force), देश की पाकिस्तान और चीन से लगने वाली सीमाओं को दुरुस्त करने में लगी है। जम्मू-कश्मीर में लड़ाकू विमानों की तैनाती के बाद वायुसेना ने एक और बड़ा कदम उठाया है। भारत विरोधी देश पाकिस्तान और चीन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए वायुसेना ने अपने लैटेस्ट हेरॉन मार्क-2 ड्रोन (Heron Mark-2 Drone) तैनात कर दिए हैं।
जानकारी के मुताबिक मिसाइल से लैस (Missile Equipped) हेरॉन मार्क 2 ड्रोन एक बार उड़ान भरने के बाद चीन और पाकिस्तान दोनों ही देशों के साथ लगने वाली सीमाओं की निगरानी करने में सक्षम हैं। भारतीय वायुसेना की ओर से उत्तरी सेक्टर में फॉरवर्ड बेस पर चार हेरॉन मार्क 2 ड्रोन को लॉन्ग रेंज मिसाइल वेपन सिस्टम से लैस करके तैनात किया गया है। सैटलाइट कम्युनिकेशन (Satellite Communication) क्षमता से युक्त इन ड्रोन्स को काफी दूर से भी इन्हें संचालित किया जा सकता है। हेरॉन मार्क 2 जीरो से नीचे तापमान होने पर भी काम कर सकता है।
हेरॉन मार्क 2 ड्रोन लेजर टेक्निक (Laser Technology) से दुश्मन के ठिकानों को चिह्नित करने में भी सक्षम हैं। यह ड्रोन इतना शक्तिशाली है कि एक ही जगह से पूरे देश पर नजर रख सकता है। ड्रोन स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर (Commanding Officer of Drone Squadron) पंकज राणा (Pankaj Rana) के मुताबिक एक ही उड़ान से कई अभियान चलाए जा सकते हैं। यह इंटेलिजेंस, सर्विलांस और टारगेट तीनों काम कर सकता है। यह ड्रोन 24 घंटे निगरानी करने में सक्षम है। यह एयरफोर्स में सबसे बड़ी अनमैन मशीनरी है।
इन ड्रोन को एयर टू ग्राउंड मिसाइल, एंटी टैंक वेपन और बम जैसे वेपन से लैस किया जा सकता है। अधिकारियों ने कहा, हेरॉन मार्क 2 वायुसेना की बड़ी मदद करने वाला है। वायुसेना प्रोजेक्ट चीता (Indian Air Force Project Cheetah) पर काम कर रही है। इसके तहत लगभघ 70 ड्रोन को हथियारों से लैस किया जाना है। सेना को 31 प्रीडेटर ड्रोन भी मिलने वाले हैं जो कि नौसेना की बड़ी मदद करेंगे। भारतीय नौसेना के पास इस तरह के 15 ड्रोन होंगे। इसके अलावा 8-8 ड्रोन अन्य सेनाओं को दिए जाएंगे।