अस्थमा फेफड़ो से संबंधित बीमारी है। गर्म हवाओं, तेज धूप और हीटवेव अस्थमा के रोगियों को दिक्कत हो सकती है।इसलिए जिन लोगो को अस्थमा की दिक्कत है उन लोगो को हीटवेव से बचाव जरुर करें।
अस्थमा फेफड़ो से संबंधित बीमारी है। गर्म हवाओं, तेज धूप और हीटवेव अस्थमा के रोगियों को दिक्कत हो सकती है।इसलिए जिन लोगो को अस्थमा की दिक्कत है उन लोगो को हीटवेव से बचाव जरुर करें। भीषण गर्मी से बचने के लिए लोग एसी की ठंडी हवा में कैद होकर रह गए है। अस्थमा के मरीजों को एसी में बैठते समय कुछ बातों का ध्यान रखने की जरुरत होती है।
अस्थमा के मरीज अगर एसी में बैठते है तो एसी का कमरा साफ सुथरा रखें। कमरे में धूल या डस्ट न हो। क्योंकि अगर कमरे में धूल या डस्ट होगी तो फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकती है। सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। एसी में वाला कमरा हमेशा साफ रखें।
एसी की सफाई ठीक से हुई हो। लंबे समय तक एसी का इस्तेमाल न करने से इसमें डस्ट पार्टिकल जम जाते हैं,यह डस्ट पार्टिकल फेफड़ों तक पहुंच कर नुकसान पहुंचा सकते हैं।
अस्थमा के मरीजों को एसी में बैठते हुए भी हाइड्रेशन का पूरा ध्यान रखना चाहिए,दरअसल जब एसी में हम बैठते हैं तो हमे प्यास कम लगती है लेकिन इसके कारण वायु मार्ग शुष्क हो जाती है, इससे चेस्ट में टाइटनेस बढ़ सकती है। ऐसे में आप हर कुछ देर पर पानी पीते रहें।
अस्थमा के मरीज अगर लंबे वक्त तक एसी में बैठ रहे हैं तो अपना इनहेलर साथ में ही रखें।अस्थमा के मरीजों के लिए ज्यादा गर्म या ज्यादा ठंडा तापमान दोनों ही नुकसान पहुंचाता है। ऐसे में एसी वाले कमरे का तापमान नॉर्मल रखें। अस्थमा के मरीजों के लिए सबसे आदर्श तापमान 25 होता है।