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International Seminar : डॉ. दिनेश शर्मा, बोले- कृषि में स्वदेशी ज्ञान के साथ-साथ आधुनिक ज्ञान से बढ़ती है किसानों की दक्षता और उत्पादकता

उद्यानिकी कृषि अनुसंधान समिति लखनऊ ने रविवार को 'बदलते हुए पर्यावरण पर्यावरण में सुव्यस्थित कृषि हेतु आधुनिक पद्धतियों पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार' (International seminar on modern methods for sustainable agriculture in the changing environment) बंधन होटल लखनऊ में आयोजित किया गया।

By संतोष सिंह 
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लखनऊ : उद्यानिकी कृषि अनुसंधान समिति लखनऊ ने रविवार को ‘बदलते हुए पर्यावरण पर्यावरण में सुव्यस्थित कृषि हेतु आधुनिक पद्धतियों पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार’ (International seminar on modern methods for sustainable agriculture in the changing environment) बंधन होटल लखनऊ में आयोजित किया गया। सेमिनार के मुख्य अतिथि यूपी के पूर्व उपमुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद डॉ दिनेश शर्मा ने कहा कि डॉक्टर इंद्र कुमार चौरसिया द्वारा प्रति वर्ष कृषि एवं पर्यावरण पर सेमिनार आयोजित करते हैं जो की सम्मान के पात्र हैं।

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उन्होंने कहा कि कृषि ऐसी नवप्रवर्तन शैली और कृषि पद्धति है जिसमें स्वदेशी ज्ञान के साथ-साथ आधुनिक ज्ञान, आधुनिक उपकरण तथा प्रत्येक पहलु जैसे खेत की तैयारी, खेत का चुनाव, खरपतवार नियंत्रण, पौध सरंक्षण, फसलोत्तर प्रबंधन, फसल की कटाई आदि जैसी महत्वपूर्ण कृषि पद्धतियों के उपयोग को आधुनिक कृषि कहते हैं। सांसद डॉ दिनेश शर्मा ने कहा कि इस तरह की कृषि में संसाधनों का अनुकूलन होता है जिससे किसानों की दक्षता और उत्पादकता बढती है। जैसा कि हम जानते हैं कि आधुनिक कृषि ने ना केवल भोजन की सामर्थ्य तथा जैव ईंधन का उत्पादन को बढाया है लेकिन साथ-साथ ही हमारी पर्यावरणीय समस्याओं को भी बढाया है क्यूंकि इस कृषि पद्दति में ज्यादा उपज देने वाली विविधता के संकर बीज और प्रचुर मात्रा में सिंचाई जल, उर्वरक और कीटनाशकों का उपयोग होता है।

सांसद डॉ दिनेश शर्मा ने कहा कि आधुनिक कृषि में कीटनाशकों को नष्ट करने और फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए कई कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है। जैसे – पहले कीटों को मारने के लिए आर्सेनिक, सल्फर, सीसा और पारा का इस्तेमाल किया गया था। फिर बाद में कीटनाशक Dichloro Diphenyl Trichloroethane (DDT) का इस्तेमाल किया गया लेकिन यह हानिकारक कीट के साथ लाभकारी कीट को भी नष्ट कर देता था। ये कीटनाशक बायोडिग्रेडेबल होते हैं जो मानव के खाद्य श्रृंखला में जुड़े जाते है जो मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक है। इसलिए आज के दौर में कृषि के लिए जैविक खाद के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा इसलिए कृषि में आधुनिकता के लिए आधुनिक एग्रोनोमी के माध्यम से पौधों में संकरण, कीटनाशकों का इस्तेमाल और मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने के लिए तकनीकी सुधार किये जा रहे हैं जिससे कृषि उत्पादन को बढाया जा सके और साथ ही साथ मनुष्य के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। कृषि मंत्री उत्तर प्रदेश सूर्य प्रताप शाही,महापौर लखनऊ सुषमा खर्कवाल ,कुलपति प्रोफेसर मांडवी सिंह भातखंडे संस्कृत विश्वविद्यालय लखनऊ ने सेमिनार के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला।

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डॉ अतुल कुमार सिंह निदेशक उद्यान विभाग उत्तर प्रदेश, एसपी जोशी पूर्व निदेशक उद्यान विभाग उत्तर प्रदेश, प्रोफेसर गजेंद्र सिंह प्रधानाचार्य चंद्रभान गुप्ता कृषि विश्वविद्यालय लखनऊ, डॉक्टर छेदीलाल वर्मा वरिष्ठ वैज्ञानिक सी एस आई आर, डॉक्टर आर ए राम पूर्व प्रधान वैज्ञानिक सी आई एस एच लखनऊ ,डॉ एके सिंह पूर्व प्रधान वैज्ञानिक सी एस आई एच, लखनऊ ,अखिलेश मौर्या जॉइंट डायरेक्टर वित्त लखनऊ, डॉ एलपी यादव, डॉक्टर योगेंद्र कुमार सिंह, डॉक्टर विक्टर देवरामा , डॉ. एसिलेवन जान आदि सम्मिलित हुए ।

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