बच्चे मिट्टी के घड़े के समान होते हैं, उसे ढालने का प्रमुख काम अभिभावक का है। उसके बाद स्कूल में गुरु उन्हें तराशते हैं। जब कोई यह कहता है कि हमारा बच्चा संस्कारवान नहीं है तो दरअसल यह उस अभिभावक की कमी है। वह खुद की बेइज्जती करता है। हर बच्चा संस्कारवान है।
लखनऊ। बच्चे मिट्टी के घड़े के समान होते हैं, उसे ढालने का प्रमुख काम अभिभावक का है। उसके बाद स्कूल में गुरु उन्हें तराशते हैं। जब कोई यह कहता है कि हमारा बच्चा संस्कारवान नहीं है तो दरअसल यह उस अभिभावक की कमी है। वह खुद की बेइज्जती करता है। हर बच्चा संस्कारवान है। हमें अपने संस्कार को तराशना होगा और बच्चे की मानसिकता को समझ कर उसको उस हिसाब से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना होगा। ये बातें पूर्व मंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेत्री स्वाती सिंह ने कहीं। वह रविवार को एसआरएम कान्वेंट स्कूल के एनुवल कार्यक्रम में बोल रही थीं।
बच्चों की गतिविधियों पर ध्यान देने की अपील
उन्होंने विद्यालय के प्रबंधक हाइकोर्ट के अधिवक्ता राज कुमार राय को धन्यवाद देते हुए कहा कि यहां के बच्चे उच्च कोटि के शिक्षा के साथ संस्कारवान बन रहे हैं। यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। इसके लिए निश्चय ही यहां के अध्यापक भी सराहनीय काम कर रहे हैं। स्वाती सिंह ने कहा कि हर शिक्षक और अभिभावक को अपने बच्चों की गतिविधियों पर ध्यान देना चाहिए और वह जिस क्षेत्र में बढ़ना चाहता है, उसके हिसाब से उसे आगे बढ़ने का मौका दिया जाना चाहिए। इससे वह अपने हिसाब से आगे बढ़ सकेगा और काफी प्रगति करेगा।
गुरु के बिना जीवन व्यर्थ
इस अवसर पर क्षेत्रीय विधायक अमरेश कुमार ने कहा कि अध्यापक बच्चों को तराशकर वे संस्कार के साथ ही समाज को समर्पित करते हैं। यही कारण है कि गुरु को सबसे श्रेष्ठ माना गया है। यदि गुरु न हो तो फिर जीवन ही व्यर्थ हो जाता है। उन्होंने एसआरएम के प्रबंधक की सराहना करते हुए कहा कि यहां शिक्षा के साथ ही संस्कार पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। कार्यक्रम में बच्चों ने काफी उत्साह दिखाया। पूरे दिन नृत्य, संगीत का कार्यक्रम चलता रहा। विद्यालय की प्रधानाचार्या रेनू सिंह और पूरा स्कूल स्टाफ ने अतिथियों का सवागत किया। काफी संख्या में अभिभावक भी मौजूद रहे।