कोविड-19 का नया वेरिएंट डेल्टा प्लस सरकार और विशेषज्ञों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। डेल्टा प्लस वेरिएंट डेल्टा का म्यूटेशन से आया है। डेल्टा को भारत में दूसरी लहर में तबाही के लिए जिम्मेदार माना जाता है।
नई दिल्ली। कोविड-19 का नया वेरिएंट डेल्टा + सरकार और विशेषज्ञों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। डेल्टा + वेरिएंट डेल्टा का म्यूटेशन से आया है। डेल्टा को भारत में दूसरी लहर में तबाही के लिए जिम्मेदार माना जाता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में डेल्टा + वेरियंट के करीब 40 मामले सामने आ चुके हैं। जानकारों की मानें तो डेल्टा वेरिएंट के संक्रमण पर वैक्सीन भी बेअसर हो सकती है, क्योंकि ये पिछले वाले सभी वायरस से बहुत ही ज्यादा घातक है। आइए जानते हैं आखिर क्या है ये डेल्टा +, इसके लक्षण और क्या यह तीसरी लहर के लिए भी जिम्मेदार हो सकता है।
क्या है डेल्टा + वेरिएंट ?
यह नया स्वरूप डेल्टा + (एवाई.1) भारत में सबसे पहले सामने आए डेल्टा (B.1.617.2) में म्यूटेशन से बना है। इसके अलावा K41N नाम का म्यूटेशन जो दक्षिण अफ्रीका में बीटा वेरिएंट में पाया गया था उससे भी इसके लक्षण मिलते हैं। इसलिए यह ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय की मानें तो देश में डेल्टा + वेरियंट के 40 मामले सामने आ चुके हैं। ये 40 मामले 8 राज्यों में पाए गए हैं। ये राज्य महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, केरल, पंजाब, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, जम्मू और कर्नाटक हैं। WHO ने डेल्टा वेरिएंट को ‘वायरस ऑफ कंसर्न’ करार दिया है।
डेल्टा +वेरिएंट के लक्षण
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक डेल्टा + काफी संक्रामक है और फेफड़े की कोशिकाओं के रिसेप्टर से मजबूती से चिपकने में सक्षम है। इसकी वजह से फेफड़े को जल्द नुकसान पहुंचने की संभावना होती है। साथ ही यह मोनोक्लोनल एंडीबॉडी कॉकटेल को भी मात देने में सक्षम है। कोविड लक्षणों पर स्टडी करने वाले प्रमुख शोधकर्ता प्रो. टिम स्पेक्टर के अनुसार, जिन लोगों को डेल्टा वेरिएंट ने अपनी चपेट में लिया है, उन्हें तेज खांसी और अलग ही तरह की भावना जैसे फनी ऑफ फीलिंग का अहसास हो रहा है। उनका कोल्ड सिम्टम्स पिछले वायरस से काफी अलग पाया जा रहा है। अध्ययन के अनुसार, सिरदर्द, गले में खराश और नाक बहना डेल्टा वेरिएंट से जुड़े सबसे आम लक्षण हैं।
क्या डेल्टा वेरिएंट तीसरी लहर के लिए हो सकता है जिम्मेदार?
दो म्यूटेशन के बाद डेल्टा का जेनेटिक कोड E484Q और L452R है और इससे हमारा इम्यून सिस्टम भी लड़ने में कमजोर पड़ सकता है। यही वजह है कि ये हमारे शरीर के बाकी अंगों को भी बड़ी आसानी से प्रभावित करके गंभीर लक्षण छोड़ता है। इसके अतिरिक्त नए वेरिएंट स्पाइक प्रोटीन की संरचना को बदलते हैं, पर डेल्टा वेरिएंट खुद को शरीर के अंदर मौजूद होस्ट सेल्स से जोड़ने में अधिक कुशल होते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि डेल्टा भारत में तीसरी लहर के रूप में हावी हो सकता है।
क्या वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी है कोविशील्ड और कोवैक्सीन?
महामारी में टीकाकरण को प्रमुख अस्त्र के तौर पर देखा जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय की मानें तो मोटे तौर पर दोनों भारतीय टीके कोविशील्ड और कोवैक्सीन डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी हैं, लेकिन वे किस हद तक और किस अनुपात में एंटीबॉडी बना पाते हैं। इसकी जानकारी बहुत जल्द साझा की जाएगी। डेल्टा प्लस वेरिएंट से बचाव में टीके कितने प्रभावी हैं, इस पर भारत सहित विश्व के कई देशों में अध्ययन हो रहा है।