संतान की खुशहाली के लिए माताएं जितिया व्रत का पालन करतीं है। इस कठिन व्रत के पालन में माताएं निर्जाला व्रत रखती है।
Jitiya Vrat 2025 : संतान की खुशहाली के लिए माताएं जितिया व्रत का पालन करतीं है। इस कठिन व्रत के पालन में माताएं निर्जाला व्रत रखती है। इस विशेष दिन पर जीमूतवाहन भगवान की उपासना का विधान है। यह व्रत प्रत्येक वर्ष आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रखा जाता है। इस बार जितिया व्रत 14 सितंबर 2025 को रखा जाएगा। इस व्रत को जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है। जितिया व्रत मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के भागों में रखा जाता है। जितिया व्रत की पूजा विधि, मंत्र, कथा, आरती के साथ पारण के समय के बारे में भी विस्तार में बताया गया है।
नहाय-खाय की परंपरा
इस व्रत से एक दिन पहले नहाय-खाय की परंपरा होती है।
विशेष पकवान
विशेष पकवान बनाए जाते हैं। इन्हीं में सबसे प्रमुख और पारंपरिक व्यंजन है नोनी का साग, जिसे इस मौके पर खासतौर पर बनाया और खाया जाता है।
नोनी का साग
आयुर्वेद में नोनी के साग का महत्व बताया गया है। नोनी के साग में विटामिन, मिनरल्स, एंटीऑक्सिडेंट और फाइबर से भरपूर होता है, जो इम्यूनिटी बढ़ाने, पाचन सुधारने और ब्लड शुगर व Cholesterol को नियंत्रित करने में मदद करता है।
उपाय और दान
बच्चे की लंबी आयु के लिए जितिया व्रत वाले दिन गरीबों, जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को भोजन और वस्त्रों का दान करें। हो सके तो बच्चों के हाथों से दान कराएं।