सनातन धर्म शुभ और अशुभ मुहूर्त का विशेष महत्व है। मान्यता कि शुभ मुहूर्त में किए गए कार्य वृद्धि देने वाले होते है। खरमास को अशुभ मास या अशुभ दिनों में माना जाता है।
खरमास
16 दिसंबर 2025 से लेकर 13 जनवरी 2026 तक खरमास चलेगा। 14 जनवरी 2026 को खरमास खत्म होगा।
खरमास में क्यो रुक जाते हैं मांगलिक कार्य
खरमास के दौरान मांगलिक कार्य रुक जाते हैं क्योंकि सूर्य के बृहस्पति की राशि (धनु या मीन) में होने से गुरु ग्रह की शक्तियां कमजोर हो जाती हैं, जो शुभता और मांगलिक कार्यों के कारक माने जाते हैं। गुरु की शक्ति कम होने पर मांगलिक कार्यों से शुभ फल की प्राप्ति नहीं होती है, इसलिए उन्हें इस दौरान वर्जित माना जाता है।
ज्योतिष के अनुसार, गुरु को भाग्य और शुभ कार्यों का कारक माना जाता है। इसके साथ ही यह भी माना जाता है कि खरमास में सूर्य देव का तेज कम हो जाता है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, खरमास वर्ष में दो बार लगता है। एक बार तक जब सूर्य देव गुरु की राशि धनु में आते हैं। दूसरी बार तब, जब सूर्य देव गुरु की ही राशि मीन में गोचर करते हैं, तब खरमास लगता है। इस प्रकार से देखा जाए तो अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार खरमास नवंबर-दिसंबर और मार्च-अप्रैल में लगता है।