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महाकुंभ विशेष: पुलिस अधिकारियों के आत्म संयम व धैर्य से ही प्रयागराज कुंभ होगा सफल

महाकुंभ विशेष: कुंभ मेला 1977 के एवं 89 के वरिष्ठ अधिकारी रहे वरिष्ठ आईपीएस स्वर्गीय त्रिनाथ मिश्रा ने अपने किताब में कहा है कि मेला में या रैली में सामान्य अधिकारियों की तुलना में पुलिस अधिकारियों की भूमिका भूमिका ज्यादा हो जाती है। इलाहाबाद प्रतापगढ़ मार्ग, जौनपुर मार्ग वाराणसी मार्ग, चित्रकूट मार्ग कानपुर मार्ग आज प्रमुख है इन मार्ग से आने वाले तीर्थ यात्रियों एवं अधिकारियों के में ज्यादा समन्वय करने की आवश्यकता है। इसका प्रत्येक स्तर पर पालन करना चाहिए इस पावन कुंभ को सफल बनाने में अपनी सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। इस शताब्दी का आयोजित होने वाले प्रयागराज महाकुंभ 2025 का दूसरा शाही स्नान 29 जनवरी को है। 

By Abhimanyu 
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महाकुंभ विशेष: कुंभ मेला 1977 के एवं 89 के वरिष्ठ अधिकारी रहे वरिष्ठ आईपीएस स्वर्गीय त्रिनाथ मिश्रा ने अपने किताब में कहा है कि मेला में या रैली में सामान्य अधिकारियों की तुलना में पुलिस अधिकारियों की भूमिका भूमिका ज्यादा हो जाती है। इलाहाबाद प्रतापगढ़ मार्ग, जौनपुर मार्ग वाराणसी मार्ग, चित्रकूट मार्ग कानपुर मार्ग आज प्रमुख है इन मार्ग से आने वाले तीर्थ यात्रियों एवं अधिकारियों के में ज्यादा समन्वय करने की आवश्यकता है। इसका प्रत्येक स्तर पर पालन करना चाहिए इस पावन कुंभ को सफल बनाने में अपनी सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। इस शताब्दी का आयोजित होने वाले प्रयागराज महाकुंभ 2025 का दूसरा शाही स्नान 29 जनवरी को है।

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सरकार द्वारा अपने स्तर से अच्छी व्यवस्था की गई है पर आम श्रद्धालुओं की समस्याओं को ध्यान में रखना चाहिए। आध्यात्मिक आयोजन एवं पर्यटन के आयोजन में अलग-अलग लाइन सरकार को जारी करनी चाहिए। आज मेरे द्वारा कुंभ मेला की सफलता के लिए इससे पूजा पाठ किया गया तथा भगवान शंकर एवं मां गंगा से प्रार्थना की गई। तीर्थ का मतलब तारने से होता है। पlर उतरने से होता है जो किनारे से पर लगा दे यहां पर सामान्य दृष्टि की आवश्यकता नहीं है। आध्यात्मिक दृष्टि को सकारात्मक ऊर्जा और अहंकार के त्याग की आवश्यकता होती है। इसका पर्यटन से दिखावटीपन से कोई मतलब नहीं। उसी को कुंभ का फल मिलेगा नहीं तो अन्य कार्यों की तरह अन्य स्नान की तरह या एक सामान्य स्नान हो जाएगा। जिसमें तन को धोने से मन पवित्र कभी नहीं हो सकता पवित्रता के लिए अध्यात्म और ईश्वर के प्रति समर्पण की आवश्यकता होती है।

शाही स्नान की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है या मुगल काल में भी रही राजपूत काल में भी रही और मराठा काल आधुनिक काल में शाही स्नान का गौरव सन्यासी एवं बैरागी के बैरागी महात्माओं के अखाड़े का अपने शिष्यों के साथ स्नान ही महत्वपूर्ण रहा है। कुंभ मेला अच्छी व्यवस्था के लिए जाना जाएगा लेकिन श्रद्धालुओं के समस्या के लिए भी जाना जाएगा एक ही साथ एक छोटे शहर में लगभग चार राज्यों की जनसंख्या जाना अपने आप में एक समस्या का कारण हो जाता है इसमें शासकीय व्यवस्था कोई काम नहीं करती सरकार को चाहिए कुंभ मेला 1977 एवं 1989 के समय कुंभ मेला के चर्चित वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी बिहार के रहने वाले थे जिनका नाम डॉक्टर त्रिनाथ मिश्रा 1977 जनता पार्टी के सरकार में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक थे तथा कुंभ मेला में 89 में पुलिस उपमहानिरीक्षक थे उसे समय हम लोग छात्र में जीवन में थे तथा एक इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र नेता भी थे उनसे हम लोग उनका नाम सुनकर शिष्टाचार से मिलने गए थे कोई एक अच्छे अधिकारी थे और बेहतरीन ऊर्जा वाले थे तथा नई पीढ़ी को शिक्षा देने वाले थे भारत के खुफिया एजेंसी सीबीआई एसपीजी आदि के डायरेक्टर भी रहे थे और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी के प्रमुख ऑफीसरों में माने जाते थे

डॉक्टर त्रिनाथ मिश्रा ने कहा था कि मैं सरकार को कुंभ मेला में बेहतर व्यवस्था के लिए और भीड़ नियंत्रण के लिए अपने अनुभव के आधार पर (कुंभ गाथा )नामक पुस्तक लिखा हूं जिसमें लगभग 340 पेज है इसके अलावा सरकार को भीड़ नियंत्रण के लिए व्यवस्था सुधार के लिए अनेक रिपोर्ट भेजी है यदि सरकार अमल करें तो बेहतर व्यवस्था होगी तथा लेकिन सरकार को पर्यटन कार्यक्रम एवं आध्यात्मिक कार्यक्रम में अलग-अलग लाइन करना होगा पर्यटन एवं माध्यमिक का आध्यात्मिकता का घर मेल नई पीढ़ी को बर्बाद देना देगा पर्यटन और अध्यात्म में बहुत बड़ा अंतर है इसको सरकार को अमल करना चाहिए अन्यथा सरकार की कोई भी व्यवस्था में भीड़ की/ क्राउड की व्यवस्था में नाकाम होगी और कोई भी सरकार बदनामी से बच नहीं सकती जहां तक मेरा सुझाव है सरकार को अभी समय है।

श्रद्धालुओं को 15 किलोमीटर दूर स्थल से कुंभ स्थल से 15/ 15 किलोमीटर दूर पैदल यात्रा यात्रा करना पड़ता पड़ रहा है। वृद्ध यात्री वृद्ध माताएं होती हैं महिलाएं होती हैं। तमाम उनके आध्यात्मिक अरमान होते हैं उसका भी ध्यान दिया जाना चाहिए। व्यवस्थापक को लाभ के स्थान पाप हो जाता है मैं कुंभ मेला में 1977 से आता हूं तथा इस बार भी अवलोकन किया यात्रियों को नविको द्वारा फर्जी पुजारी द्वारा ऑटो एवं ई रिक्शा वाला द्वारा दुपहिया वाहनों द्वारा खूब लूटा इस पर रोक लगाने के लिए सरकार को खराब व्यवस्था को ठीक करना भी सरकारी मशनरी का दायित्व

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– डॉ. मुरलीधर शास्त्री (पूर्व उपनिदेशक कुंभ मेला 2019)

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