Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव से पहले सत्ताधारी महायुति गठबंधन में कुछ ठीक नजर नहीं आ रहा है, क्योंकि भाजपा और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के बीच कुछ क्षेत्रों में असमंजस की स्थिति नजर आ रही है। शिवसेना ने तो यहां तक कह दिया है कि अगर बात नहीं बनी तो वो अकेले ही चुनाव लड़ सकती है।
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव से पहले सत्ताधारी महायुति गठबंधन में कुछ ठीक नजर नहीं आ रहा है, क्योंकि भाजपा और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के बीच कुछ क्षेत्रों में असमंजस की स्थिति नजर आ रही है। शिवसेना ने तो यहां तक कह दिया है कि अगर बात नहीं बनी तो वो अकेले ही चुनाव लड़ सकती है।
एक मीडिया मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शिवसेना सांसद नरेश म्हस्के ने कहा कि अगर सहयोगी दल (भाजपा) निकाय चुनाव में अलग होने का फैसला करते हैं तो नवी मुंबई महानगरपालिका का चुनाव शिवसेना अकेली लड़ेगी। बता दें कि नवी मुंबई को भाजपा का गढ़ माना जाता है। लेकिन, शिवसेना शर्तों के आधार भाजपा के साथ गठबंधन भी करना चाहती है।
द इकोनॉमिक्स टाइम्स के अनुसार, शिवसेना नेताओं का कहना है कि भाजपा को केवल अपना फायदा नहीं देखना चाहिए, बल्कि सहयोगी दलों को फायदा पहुंचाने के बारे में भी सोचना चाहिए। उनका कहना है कि शिवसेना मुंबई नगर निगम के चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन करने को तैयार है लेकिन इसके बदले में उसे ठाणे और कल्याण-डोंबिवली के चुनाव में शिवसेना का साथ देना पड़ेगा।
एकनाथ शिंदे की पार्टी के नेताओं का यह भी दावा है कि मुंबई निकाय चुनाव में भाजपा को उद्धव सेना (शिवसेना यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना दोनों का सामना करना पड़ेगा, इसलिए भाजपा अकेले चुनाव नहीं लड़ना चाहती है। शिवसेना के समर्थन से उसके वोट बढ़ जाएंगे और विरोधियों (उद्धव सेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना) के वोट बैंक में सेंध लगाई जा सकेगी।
शिवसेना से अलग होते समय एकनाथ शिंदे से बहुत सारे पार्षद उनके साथ नहीं जुड़े थे। लेकिन, अब उन पार्षदों का कार्यकाल खत्म हो रहा है। बताया जा रहा है कि अब 45 पार्षद एकनाथ शिंदे के संपर्क में हैं। जिन्हें शिंदे चुनाव में फिर से उतार सकते हैं। शिवसेना का कहना है कि अगर भाजपा ठाणे और कल्याण-डोंबिवली में गठबंधन करने को तैयार नहीं होती है तो इसका नुकसान उसे मुंबई में उठाना पड़ेगा।