मकर संक्रांति ऋतु परिवर्तन का संदेश है। सनातन धर्म में मकर संक्रांति पर्व को बहुत महत्वपमर्ण माना जाता है। इस पौष संक्रांति भी कहा जाता है।
Makar Sankranti 2025 : मकर संक्रांति ऋतु परिवर्तन का संदेश है। सनातन धर्म में मकर संक्रांति पर्व को बहुत महत्वपमर्ण माना जाता है। इस पौष संक्रांति भी कहा जाता है। संक्रांति को उत्तरायण भी कहा जाता है। मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य नारायण धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते है और उत्तर दिशा की ओर बढ़ना शुरू करते हैं, इसलिए इसे उत्तरायण कहा जाता है। यह ठंड के कम होने और सूर्य देव के लंबे समय तक चमकने का प्रतीक होता है। इस त्योहार को खिचड़ी भी कहा जाता है। आइए जानते हैं अगले वर्ष कब है मकर संक्रांति और इस दिन से जुड़ी तरह-तरह की परंपराएं कौनसी हैं।
2025 में मकर संक्रांति
पंचांग के अनुसार, 14 जनवरी को सुबह में 09:03 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन ग्रहों के राजकुमार सूर्य देव शनि की राशि मकर में प्रवेश करते हैं और इस दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं। 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी।
मकर संक्रांति के पर्व पर भगवान सूर्य के ‘ॐ सूर्याय नमः’ मंत्र के जाप से तेज बल बढ़ता है। सूर्य के मकर राशि में संक्रमण और लंबे दिन के उजाले की शुरुआत का प्रतीक हैं। वैदिक साहित्य में, उत्तरायण को सकारात्मक ऊर्जाओं से जोड़ा गया है और इसे आध्यात्मिक प्रथाओं, धार्मिक अनुष्ठानों और मेधावी कार्यों के लिए एक शुभ अवधि माना जाता है।
इस दौरान ऊर्जाएं प्रगति, उपलब्धि और आध्यात्मिक लक्ष्यों की प्राप्ति का समर्थन करती हैं। सूर्य जब मकर रेखा से उत्तर कर्क रेखा की ओर जाता है तो वह उत्तरायण कहलाता है, सूर्य जब कर्क रेखा से दक्षिणी की ओर जाता है तो उसे दक्षिणायन कहा जाता है। उत्तरायण में दिन बड़े होंगे और दक्षिणायन में दिन छोटे होंगे।