पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी (CM Mamata Banerjee) ने ईद की नमाज़ के दौरान आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि हम देश के लिए खून बहाने को तैयार हैं लेकिन देश के लिए अत्याचार बर्दाश्त नहीं करेंगे। समान नागरिक संहिता (UCC)स्वीकार्य नहीं है। मैं सभी धर्मों में सद्भाव चाहती हूं। आपकी सुरक्षा चाहती हूं।
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी (CM Mamata Banerjee) ने ईद की नमाज़ के दौरान आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि हम देश के लिए खून बहाने को तैयार हैं लेकिन देश के लिए अत्याचार बर्दाश्त नहीं करेंगे। समान नागरिक संहिता (UCC)स्वीकार्य नहीं है। मैं सभी धर्मों में सद्भाव चाहती हूं। आपकी सुरक्षा चाहती हूं।
ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि वो चुन-चुनकर मुसलमान नेताओं को फ़ोन कर रही है और पूछ रही है कि उन्हें क्या चाहिए, उन्होंने कहा कि हम रॉयल बंगाल टाइगर की तरह हैं। मैं देश के लिए अपना खून देने को तैयार हूं। चुनाव के दौरान आप मुस्लिम नेताओं को फोन करते हैं और कहते हैं कि आप क्या चाहते हैं। मैं कहती हूं कि उन्हें कुछ नहीं चाहिए, उन्हें प्यार चाहिए। हम यूसीसी स्वीकार नहीं करेंगे। आप मुझे जेल में डाल सकते हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी भाजपा को वोट ना दें।
बीजेपी पश्चिम बंगाल में टीएमसी को बुरी तरह हरा देगी : रविशंकर प्रसाद
ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के इस बयान के बाद बिहार के बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद (BJP MP Ravi Shankar Prasad) का कहा कि बीजेपी पहले ही पश्चिम बंगाल में प्रवेश कर चुकी है। सीएए का एनआरसी से कोई लेना-देना नहीं है। क्या वह (पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी) नहीं चाहतीं कि बांग्लादेश से प्रताड़ित हिंदुओं को जगह मिले? क्या वह देश में सिर्फ रोहिंग्याओं की रक्षा करना चाहती है या संदेशखाली के शाहजहां शेख जैसे लोगों की? बीजेपी पश्चिम बंगाल में टीएमसी को बुरी तरह हरा देगी और राज्य का परिणाम आश्चर्यजनक होगा।
कई राज्यों में बीजेपी को यह डर है कि चुनाव उनके हाथ से फिसल रहे हैं : मनोज कुमार झा
तो वहीं पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी (West Bengal CM Mamata Banerjee) के बयान पर राजद नेता मनोज कुमार झा (Manoj Kumar Jha) ने कहा कि कई राज्यों में बीजेपी को यह डर है कि चुनाव उनके हाथ से फिसल रहे हैं। हर राजनीतिक दल को इसके लिए तैयार रहना होगा अलग-अलग राज्य। चाहे कुछ भी हो जाए, सौहार्द नहीं बिगड़ना चाहिए। अगर सौहार्द बिगड़ता है तो लोकतंत्र को नुकसान होता है। फिर चुनाव किस बात का और कैसा चुनाव?