जयराम रमेश ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, साल 2021 में जनगणना होनी चाहिए थी, लेकिन कोरोना का बहाना बनाकर यह काम नहीं किया गया। जबकि उस समय भी दुनिया के 50 से अधिक देशों ने जनगणना कराई थी।
नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार ने जातिगत जनगणना (Caste Census) कराने का निर्णय लिया है। केंद्र सरकार के इस फैसले पर अब जमकर सियासत हो रही है। विपक्षी दल इसे अपनी जीत बताकर पीएम मोदी पर जमकर निशाना साध रहे हैं। अब कांग्रेस नेता जयराम रमेश का बयान आया है। उन्होंने कहा कि, कांग्रेस समेत कई राजनीतिक दलों ने जातिगत जनगणना की मांग की, लेकिन 11 साल तक नरेंद्र मोदी ने इस पर चुप्पी नहीं तोड़ी।
जयराम रमेश ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, साल 2021 में जनगणना होनी चाहिए थी, लेकिन कोरोना का बहाना बनाकर यह काम नहीं किया गया। जबकि उस समय भी दुनिया के 50 से अधिक देशों ने जनगणना कराई थी।
आज से एक साल पहले नरेंद्र मोदी टीवी इंटरव्यू पर कहा करते थे कि जो भी जातिगत जनगणना की बात करता है, वो ‘अर्बन नक्सल’ है। अगर ऐसे देखा जाए तो नरेंद्र मोदी और अमित शाह अचानक से ‘अर्बन नक्सल’ बन गए। लेकिन कल अचानक से नरेंद्र मोदी और अमित शाह समेत BJP के सारे नेता, मंत्री और प्रवक्ता जातिगत जनगणना का धूमधाम से जश्न मनाने लग गए।
कांग्रेस समेत कई राजनीतिक दलों ने जातिगत जनगणना की मांग की, लेकिन 11 साल तक नरेंद्र मोदी ने इस पर चुप्पी नहीं तोड़ी। जब मैं ख़ुद मंत्री था, तब 2011 में ग्रामीण भारत में सामाजिक, आर्थिक और जाति आधारित जनगणना हुई थी, लेकिन उसके आंकड़े आजतक सामने नहीं आए। हमने मांग की तो हमारी और हमारे नेताओं की आलोचना की गई। अब जब देश पहलगाम हमले को लेकर शोक में है तो सरकार ने जातिगत जनगणना का निर्णय लिया और कहा कि ये निर्णय नरेंद्र मोदी की सोच से आया है।
इसके साथ ही कहा, 2011 में ग्रामीण और शहरी भारत में सामाजिक, आर्थिक और जाति आधारित जनगणना कराई गई थी। इसमें करीब 25 करोड़ परिवारों से जानकारी हासिल की गई थी। यह सही है कि इस सर्वेक्षण में जाति के बारे में जानकारी प्रकाशित नहीं की गई थी, क्योंकि इसमें कई खामियां मिली थीं। मैं खुद मंत्री था और मैंने राज्य सरकारों के साथ मिलकर बहुत प्रयास किया कि हर राज्य में जो खामियां हमें मिली हैं, हम उसमें कैसे सुधार कर सकते हैं। लेकिन बाद में चुनाव आ गया, आचार संहिता लागू हो गई और हम जानकारी प्रकाशित नहीं कर पाए।
मुझे खुशी है कि इस सर्वेक्षण से जो सामाजिक और आर्थिक स्थिति की जानकारी मिली, आज भी मोदी सरकार उसका इस्तेमाल कर रही है। लेकिन हमारे समय में जाति को लेकर जो जानकारी जुटाई गई थी, उसमें 2013 में सुधार चल रहा था और यह काम चुनाव से पहले पूरा नहीं हुआ। फिर अचानक से सरकार ने रोक भी लगा दी और कहा कि हम जाति जनगणना नहीं करेंगे। अगर राज्य इसे करना चाहते हैं, तो उन्हें करने दें, लेकिन हम ऐसा नहीं करेंगे। हमारे संविधान की 7वीं अनुसूची में, जनगणना कराने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है, लेकिन जब बिहार, तेलंगाना और कर्नाटक सरकार ने यह काम किया, तब सरकार ने ये निर्णय लिया।
उन्होंने आगे कहा, मुझे खुशी है कि कल मोदी सरकार ने अपनी जिम्मेदारी को पहचाना, क्योंकि इस संविधान के अनुसार, जनगणना कराना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है। मुझे उम्मीद है कि सरकार संसद से अनुमति लेगी और जल्द से जल्द जनगणना करना शुरू करेगी। देखा जाए तो जनगणना करने में लगभग 10 महीने लगते हैं, इसलिए अगर सरकार यह काम नवंबर में शुरू करती है, तो यह काम मई या अगस्त तक पूरा हो पाएगा।
मैं जाति जनगणना के बारे में एक और बात कहना चाहता हूं। 1951 से लेकर हर 10 साल में होने वाली जनगणना में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या की गणना की जाती थी। हमारे देश में लगभग 1250 अनुसूचित जाति हैं और लगभग 750 अनुसूचित जनजाति है। इन सभी जातियों की जनसंख्या क्या है, वह सब 1951 से मिल रहा है। अगर 2021 में मोदी सरकार ने जनगणना करवाई होती, तो अनुसूचित जाति की जनसंख्या और अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या की गणना हो जाती।
जयराम रमेश ने आगे कहा, जातिगत जनगणना में OBC की जनसंख्या, जो 1951 से नहीं ली गई थी, अब वह ली जाएगी। जनसंख्या में किसका कितना डिस्ट्रीब्यूशन है- वह सब मिल जाएगा। इस तरह, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या तो मिलेगी ही, इसके साथ ही OBC, गैर-OBC, गैर-अनुसूचित जाति, गैर-अनुसूचित जनजाति की जानकारी भी मिल जाएगी।