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मौलाना तारिक जमील ने कहा- रमजान माह मरने वालों से अल्लाह कोई हिसाब नहीं करता और उनको…

Ramadan 2025 : पाकिस्तानी मौलाना तारिक जमील (Pakistani Maulana Tariq Jameel) ने बताया कि इस्लाम के पाक महीने रमजान में जन्नत और जहन्नुम में क्या होता है? 29 दिनों के लिए जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। हर दिन जन्नत को सजाया जाता है। उन्होंने कहा कि अगर कोई इस महीने में मरता है तो उससे अल्लाह कोई हिसाब नहीं करता और उनको माफ कर दिया जाता है।

By संतोष सिंह 
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Ramadan 2025 : पाकिस्तानी मौलाना तारिक जमील (Pakistani Maulana Tariq Jameel) ने बताया कि इस्लाम के पाक महीने रमजान में जन्नत और जहन्नुम में क्या होता है? 29 दिनों के लिए जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। हर दिन जन्नत को सजाया जाता है। उन्होंने कहा कि अगर कोई इस महीने में मरता है तो उससे अल्लाह कोई हिसाब नहीं करता और उनको माफ कर दिया जाता है।

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मौलाना तारिक जमील (Maulana Tariq Jameel) ने कहा कि रमजान का महीना अल्लाह ने हमारे लिए खुशी का महीना बनाया है, जिसमें जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं, जहन्नुम के बंद कर दिए जाते हैं। शैतान कैद कर लिए जाते हैं। जन्नत को रोजाना सजाया जाता है। अल्लाह का अर्श पहले आसमान पर आ जाता है।

उन्होंने कहा कि इस महीने में अल्लाह की तरफ से ऐलान हो रहा होता है कोई बक्शीश चाहने वाला, कोई मांगने मांगने वाला है। तारिक जमील ने कहा कि रमजान में फर्ज 70 फर्जों के बराबर हो जाता है और नफल फर्ज के बराबर हो जाता है। उन्होंने कहा कि फर्ज और नफल का फर्क इतना बड़ा है कि अगर कोई कयामत तक दो रकात नफल के पढ़ता रहे तो फर्ज रकात के एक सजदे के बराबर नहीं होता। किसी ख्वाहिश को पूरा करने के लिए की गई प्रार्थना को नफल कहते हैं।

मौलाना तारिक जमील (Maulana Tariq Jameel) ने कहा,कि रमजान के महीने में जो मर जाते हैं अहले ईमान, उनका हिसाब नहीं होता, अल्लाह उनको माफ कर देता है। 29 दिन ये सिलसिला चलता है और आखिरी रात अल्लाह ऐलान फरमाते हैं कि मेरे बंदों ने रात को तरावीह की नामज पढ़ी, दिन में रोजा रखा था तो मैंने इन सब पर इनकी बकशीश फरमा दी।

तारिक जमील ( Tariq Jameel) कहा कि तो इस खुशी में फिर हम सब मिलकर अल्लाह की बारगाह में शुकराने के मिलकर दो नफल अदा करते हैं और अल्लाह का शुकर अदा करते हैं कि अल्लाह तूने हमारे गुनाहों को माफ किया, जहन्नुम को हम पर हराम किया और जन्नत वाजिब किया। ईद (Eid-Ul-Fitra 2025) की खुशी की ये वजह है इसलिए हम ईद मनाते हैं।

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