प्राचीन काल से हमारे रसोईघर स्वाद और सेहत की प्रयोगशाला बने है। रसोई में बने पकवान में लज्जत के साथ सेहत भी तैयार होती है।
डे-टू-डे कुकिंग
पीतल को भोजन निर्माण के लिए सबसे लाभकारी धातुओं में एक माना जाता है। इसमें बने भोजन से पाचन क्रिया को सक्रिय हाकती है। इसके साथ ही भोजन में मौजूद पोषक तत्वों को बेहतर तरीके से अवशोषित होने में मदद करता है। पुराने जमाने में दाल और कढ़ी का स्वाद केवल इसलिए अलग नहीं था, बल्कि उसमें पोषक तत्व अधिक प्रभावी रूप में मिलते थे। आधुनिक समय में भी पीतल के बर्तन रन-डे-टू-डे कुकिंग, खासकर दाल-सब्जी के लिए बेहद उपयोगी माने जाते हैं।
कांसा त्रिदोष संतुलन
कांसा ऐसा धातु माना जाता है जो प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक है। इसमें परोसा भोजन जल्दी खराब नहीं होता और इसे त्रिदोष संतुलन के लिए भी श्रेष्ठ माना गया है। कई शोध बताते हैं कि कांसे की थाली में भोजन करने वाले लोगों में पाचन शक्ति बेहतर पाई गई।
मिट्टी
मिट्टी के बर्तन, धीमी आंच पर पकने के कारण भोजन के विटामिन और खनिजों को सुरक्षित रखते हैं. इन पात्रों में बनी दाल, बिरयानी या खिचड़ी में प्राकृतिक मिट्टी का खारापन भोजन को हल्का और सुपाच्य बनाता है।