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Modi Cabinet 3.0 : केंद्रीय कैबिनेट मुस्लिम मुक्त, आजादी के बाद ऐसा पहली बार हुआ मोदी राज में

देश में मुस्लिम समुदाय (Muslim Community) की 20 करोड़ की आबादी है। कुल आबादी में करीब 14 फीसदी की हिस्सेदारी के बावजूद मोदी सरकार (Modi Government) के तीसरे कार्यकाल में यह बिरादरी मंत्रिमंडल में उपस्थिति दर्ज नहीं करा सकी। आजादी के बाद यह पहली सरकार है,जिसके मंत्रिमंडल में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व शून्य है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। देश में मुस्लिम समुदाय (Muslim Community) की 20 करोड़ की आबादी है। कुल आबादी में करीब 14 फीसदी की हिस्सेदारी के बावजूद मोदी सरकार (Modi Government) के तीसरे कार्यकाल में यह बिरादरी मंत्रिमंडल में उपस्थिति दर्ज नहीं करा सकी। आजादी के बाद यह पहली सरकार है,जिसके मंत्रिमंडल में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व शून्य है। हालांकि शून्य प्रतिनिधित्व का सिलसिला जुलाई 2022 से जारी है, जब सरकार के इकलौते मुस्लिम मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी (Muslim minister Mukhtar Abbas Naqvi) राज्यसभा का टिकट नहीं मिलने के कारण उच्च सदन में नहीं पहुंच सके थे।

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मोदी सरकार में मुस्लिम प्रतिनिधित्व का सिलसिला तीन से शुरू हो कर अब शून्य पर अटका

बता दें कि मोदी सरकार (Modi Government) में मुस्लिम प्रतिनिधित्व का सिलसिला तीन से शुरू हो कर अब शून्य पर अटक गया है। पहले कार्यकाल में मोदी मंत्रिमंडल (Modi Cabinet) में नजमा हेपतुल्ला, एमजे अकबर और नकवी के रूप में तीन मुसलमानों का प्रतिनिधित्व था। हालांकि इसी कार्यकाल में मी टू अभियान के निशाने पर आए अकबर को मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा तो हेपतुल्ला के राज्यपाल बनने के बाद नकवी के रूप में मुसलमानों का इकलौता प्रतिनिधित्व रह गया था।

मोदी सरकार (Modi Government) के दूसरे कार्यकाल में भी नकवी ही मंत्रिमंडल में मुसलमानों के इकलौते प्रतिनिधि थे। हालांकि जुलाई 2022 में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री रहते नकवी का राज्यसभा का कार्यकाल खत्म हो गया। दोबारा टिकट नहीं मिलने के कारण उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और इसके साथ ही मोदी मंत्रिमंडल (Modi Cabinet) में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व शून्य हो गया।

लोकसभा में भी घटा मुसलमानों का प्रतिनिधित्व

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सीमित संख्या में चुनाव लड़ने का अवसर मिलने के कारण वर्तमान लोकसभा में भी मुसलमानों का प्रतिनिधित्व घट गया है। एनडीए ने ही नहीं विपक्षी इंडिया गठबंधन ने भी इस बिरादरी को मौका देने में कंजूसी बरती। इसके कारण बीते साल 27 के मुकाबले इस बार महज 24 मुसलमान उम्मीदवार ही चुनाव जीत पाए। राजग ने इस बार चार, कांग्रेस ने 19, सपा ने 4, टीएमसी ने 6 और बीएसपी ने 32 मुसलमान उम्मीदवार उतारे थे। इनमें बसपा और राजग का एक भी उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत पाया। इस बार यूपी से पांच, प. बंगाल से 6, जम्मू कश्मीर से 3, बिहार-केरल से दो-दो, लक्षद्वीप, असम तमिलनाडु, तेलंगाना और लद्दाख से एक-एक मुस्लिम उम्मीदवार को जीत मिली।

एनडीए के घटक दलों ने भाजपा के मुस्लिम मुक्त राजनीति के सपने को आगे बढ़ाने का काम किया : राजद 

राजद ने केन्द्रीय मंत्रिमंडल में मुस्लिम समुदाय से किसी का प्रतिनिधित्व नहीं होने पर तंज किया है और कहा कि यह भाजपा (BJP) के एजेंडा को मजबूती प्रदान कर रहा है। रविवार को जारी बयान में प्रदेश राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने आरोप लगाया कि एनडीए सरकार में मुस्लिम मुक्त मंत्रिमंडल का गठन, भाजपा (BJP) के उस सपने को पूरा कर रहा है जो पहले से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की सरकार करती रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि एनडीए (NDA)के घटक दलों ने भाजपा के मुस्लिम मुक्त राजनीति के सपने को आगे बढ़ाने का काम किया है।

नई लोकसभा में चुने गए केवल 24 मुस्लिम सांसद 

नई लोकसभा (New Lok Sabha) में केवल 24 मुस्लिम सांसद चुने गए, जो 2019 से दो कम है। इन 24 में से 21 सांसद विपक्षी दलों से हैं – कांग्रेस के पास नौ मुस्लिम सांसद हैं, उसके बाद तृणमूल कांग्रेस (TMC) के पास पांच, समाजवादी पार्टी के पास चार, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के पास एक और नेशनल कॉन्फ्रेंस के पास एक है। गैर-संबद्ध एआईएमआईएम में एक मुस्लिम सांसद (खुद असदुद्दीन ओवैसी) हैं, और दो अन्य मुस्लिम भी हैं जो निर्दलीय के रूप में जीते हैं – बारामुल्ला से इंजीनियर राशिद और लद्दाख से मोहम्मद हनीफा। सत्तारूढ़ एनडीए के पास एक भी मुस्लिम सांसद नहीं है।

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