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‘Cow Hug Day’ मामले में बैकफुट पर मोदी सरकार, एनिमल वेलफेयर बोर्ड ने फैसले को लिया वापस

केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) ने विपक्ष के विरोध के बीच 14 फरवरी को काउ हग डे (Cow Hug Day) के तौर पर मनाए जाने की अपील को वापस ले लिया है। इससे पहले सरकार के तहत एनिमल वेलफेयर बोर्ड (Animal Welfare Board) ने 14 फरवरी को काउ हग डे (Cow Hug Day)  मनाने की अपील की थी।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) ने विपक्ष के विरोध के बीच 14 फरवरी को काउ हग डे (Cow Hug Day) के तौर पर मनाए जाने की अपील को वापस ले लिया है। इससे पहले सरकार के तहत एनिमल वेलफेयर बोर्ड (Animal Welfare Board) ने 14 फरवरी को काउ हग डे (Cow Hug Day)  मनाने की अपील की थी। बता दें कि आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) और तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) जैसी कई विपक्षी पार्टियों ने 14 फरवरी को काउ हग डे (Cow Hug Day) के तौर पर मनाए जाने के फैसले का विरोध किया था, जिसके बाद अब सरकार ने इस फैसले को वापस ले लिया है।

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विपक्ष ने ‘Cow Hug Day’ पर कसा था तंज

शिवसेना ने 14 फरवरी को काउ हग डे (Cow Hug Day)  तौर पर मनाए जाने के फैसले पर सवाल उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) पर निशाना साधा था। शिवसेना ने दावा किया था कि अरबपती उद्योगपति गौतम अडानी भी मोदी के लिए होली काउ जैसे ही हैं। टीएमसी सांसद शांतनु सेन (TMC MP Shantanu Sen) ने कहा कि काउ हग डे (Cow Hug Day)  छद्म हिंदुत्व और छद्म देशभक्ति है, जिसका मकसद मुख्यधारा के मुद्दों से ध्यान भटकाना है। इस बीच माकपा नेता इलामारम करीम ने काउ हग डे को हास्यास्पद और देश के लिए शर्मनाक कॉन्सेप्ट बताया।

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कांग्रेस की वरिष्ठ सांसद रजनी पाटिल (Senior Congress MP Rajni Patil) ने कहा कि मैं भी किसान परिवार से हूं। मैं रोजाना अपनी गाय को गले लगाती हूं, सिर्फ एक दिन के लिए नहीं। यह कदम बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए है। एनिमल वेलफेयर बोर्ड (Animal Welfare Board)  ने 6 फरवरी को जारी अपील पत्र में इसके पीछे तर्क भी दिए थे। इसमें कहा गया था कि हम सभी जानते हैं कि गाय भारतीय संस्कृति और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। वह हमारे जीवन को बनाए रखती है। पशु धन और जैव विविधता का प्रतिनिधित्व करती है। मानवता को सब कुछ प्रदान करने वाली मां के समान पोषक प्रकृति के कारण इसे “कामधेनु” और “गौमाता” के रूप में जाना जाता है।

 

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