आरक्षण समर्थकों ने कहा कि लोकसभा के बजट सत्र को जहां 2 दिन बीत गए हैं। वहीं केंद्र की मोदी सरकार द्वारा अभी तक पदोन्नति में आरक्षण संबंधी 117वा लंबित बिल पर कोई भी चर्चा ना किया जाना पूरे देश के करोडों दलित कार्मिकों के लिए चिंता का विषय है। एक बार फिर आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति ने केंद्र की मोदी सरकार से पुरजोर मांग उठाई है कि पिछले 10 वर्षों से लोकसभा में लंबित पदोन्नति में आरक्षण के बिल को अभिलंब पारित कराया जाए।
लखनऊ। आरक्षण समर्थकों ने कहा कि लोकसभा के बजट सत्र को जहां 2 दिन बीत गए हैं। वहीं केंद्र की मोदी सरकार द्वारा अभी तक पदोन्नति में आरक्षण संबंधी 117वा लंबित बिल पर कोई भी चर्चा ना किया जाना पूरे देश के करोडों दलित कार्मिकों के लिए चिंता का विषय है। एक बार फिर आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति ने केंद्र की मोदी सरकार से पुरजोर मांग उठाई है कि पिछले 10 वर्षों से लोकसभा में लंबित पदोन्नति में आरक्षण के बिल को अभिलंब पारित कराया जाए। जिससे देश के दलित कार्मिकों के साथ न्याय हो सके।
वहीं आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश द्वारा एक बार फिर सभी राजनीतिक दलों से अपने अपने घोषणापत्र में पदोन्नति में आरक्षण बिल को स्थान देने की मांग उठाई है। अपनी मांग को दोहराते हुए कहा पिछड़े वर्गों के लिए भी पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था जो आज से 45 वर्ष पहले उत्तर प्रदेश में लागू थी उसे बहाल कराने के लिए सभी राजनीतिक दल अपने घोषणापत्र में शामिल करें ।
आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के संयोजकों अवधेश कुमार वर्मा ने कहा जिस प्रकार से विगत विगत में लगभग 2 लाख दलित कार्मिकों को उत्तर प्रदेश में रिवर्ट किया गया था। आज भी वह अपमानित महसूस कर रहे हैं और न्याय की आस लगाए बैठे हैं। ऐसे में सभी राजनीतिक दलों की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह दलित कार्मिकों के साथ न्याय करने की दिशा में उनके द्वारा जो भी सार्थक कदम उठाए जा रहे हैं उसको सार्वजनिक करें ।
संघर्ष समिति के नेताओं ने पूरे प्रदेश में अपने 8 लाख आरक्षण समर्थक कार्मिकों व उनके रिश्तेदार नातेदार के बीच चलाए जा रहे। जागरूकता अभियान की समीक्षा करते हुए कहा इस बार 100 प्रतिशत वोट की चोट से उत्तर प्रदेश में आरक्षण समर्थक सरकार बनवाने के लिए करो मरो की तर्ज पर चरणबद्ध तरीके से अपनी योजना के तहत अपने अधिकार को सुरक्षित करने के लिए वोट करना है।
बड़े दुर्भाग्य की बात है कि आज लोकसभा में आरक्षित सीट से जीत कर आने वाले 130 से ज्यादा माननीय सांसद है, लेकिन उनके द्वारा पदोन्नति में आरक्षण पर चुप्पी बड़ा सवाल पैदा कर रही है। जिस प्रकार से बाबा साहब द्वारा बनाई गई संवैधानिक व्यवस्था पर आरक्षित सीट से जीत कर आने वाले हमारे प्रतिनिधि चुप रहते हैं। उससे पूरे देश प्रदेश के दलित कार्मिकों व बहुजन समाज में गलत संदेश जाता है। अभी भी समय है सभी आरक्षण समर्थक जनप्रतिनिधियों से अपील है कि वह पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था को बहाल कराने के लिए अपना योगदान दें ।