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गोवर्धन में बड़े ही धूमधाम के साथ निकली मुड़िया शोभायात्रा, जगह-जगह हुआ स्वागत

गोवर्धन में लगने वाले मुड़िया मेला (Mudiya Fair) में रविवार को मुड़िया यात्रा के साथ समाप्त हो गया। चकलेश्वर स्थित श्रीराधा श्याम सुंदर मंदिर (Shri Radha Shyam Sundar temple located at Chakaleshwar) से बाबा रामकृष्ण दास जी महाराज के सानिध्य में यह मुड़िया शोभायात्रा (Mudiya Procession) निकाली गई, जिसमें सभी मुड़िया संत ढोल मृदङ्ग खंजरी की थापों पर नाचते गाते हुए अपने गुरु की याद में इस प्राचीन परंपरा का निर्वहन करते नजर आए।

By संतोष सिंह 
Updated Date

गोवर्धन। गोवर्धन में लगने वाले मुड़िया मेला (Mudiya Fair) में रविवार को मुड़िया यात्रा के साथ समाप्त हो गया। चकलेश्वर स्थित श्रीराधा श्याम सुंदर मंदिर (Shri Radha Shyam Sundar temple located at Chakaleshwar) से बाबा रामकृष्ण दास जी महाराज के सानिध्य में यह मुड़िया शोभायात्रा (Mudiya Procession) निकाली गई, जिसमें सभी मुड़िया संत ढोल मृदङ्ग खंजरी की थापों पर नाचते गाते हुए अपने गुरु की याद में इस प्राचीन परंपरा का निर्वहन करते नजर आए। यात्रा राधा श्याम सुन्दर मंदिर से निकली और चकलेश्वर से होते हुए दसविसा हरदेव जी मन्दिर बिजली घर से होते हुए दानघाटी मन्दिर बड़ा बाजार हाथी दरवाजा होकर अपने गंतव्य स्थान पर पहुंची। यात्रा में सैकङों संत महात्मा साधु सन्यासी व स्थनीय लोगों ने भाग लिया। वहीं यात्रा का जगह जगह स्वागत भी हुआ।

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बता दें की यह परम्परा आज से लगभग 467 साल पहले से चली आ रही है। जब माधव गौडीय-सम्प्रदाय के आचार्य श्रीपाद सनातन गोस्वामी श्री चैतन्य महाप्रभु के आदेश पर ब्रजभूमि पधारे तो यहां वृन्दावन के बाद गोवर्धन ही उनका भजन-स्थली बना सनातन गोस्वामी अपने बालों का मुंडन कर भजन-साधना में लीन रहते थे। इसीलिए सभी उन्हें मुड़िया बाबा के नाम से जानते थे। गोवर्धन-पर्वत की परिक्रमा करना उनके नित्यकर्म में शामिल था। इसीलिए जब उन्होंने गुर-पूर्णिमा के दिन अपना शरीर छोड़ा तो गुरु की आज्ञा अनुसार उनके अनुयायियों ने अपने बालों का मुंडन कर मुड़िया शोभायत्रा निकाल गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करी थी। तब से लेकर आज तक यह परंपरा चली आ रही है।

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