बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) लोकसभा चुनाव के दौरान भविष्यवाणी की थी कि ‘हमारे चाचा (Nitish Kumar) पिछड़ों की राजनीति और पार्टी बचाने के लिए कोई भी बड़ा फैसला 4 जून के बाद ले सकते हैं।’ एक ही जून को आए एग्जिट पोल के नतीजों में बिहार में बीजेपी की तुलना में जेडीयू (JDU) का प्रदर्शन कमजोर आंका गया है।
पटना। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) लोकसभा चुनाव के दौरान भविष्यवाणी की थी कि ‘हमारे चाचा (Nitish Kumar) पिछड़ों की राजनीति और पार्टी बचाने के लिए कोई भी बड़ा फैसला 4 जून के बाद ले सकते हैं।’ एक ही जून को आए एग्जिट पोल के नतीजों में बिहार में बीजेपी की तुलना में जेडीयू (JDU) का प्रदर्शन कमजोर आंका गया है। इसके अगले दिन 2 जून को बिहार के सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) दिल्ली पहुंच गए हैं। हर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के साथ दिल्ली दौरे पर रहने वाले राजीव रंजन सिंह (ललन सिंह) या विजय चौधरी नदारद हैं। ऐसे में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के दिल्ली दौरे के अलग-अलग मायने निकाला जाना लाजिमी है।
राजनीतिक गलियारे से लेकर ब्यूरोक्रेसी में चर्चा है कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) आखिरकार किस मकसद से दिल्ली आए हैं? पार्टी सूत्रों की माने तो सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) राज्य के लिए स्पेशल पैकेज की मांग लेकर आए हैं। अगर इस बात में दम है तो फिर राज्य के वित्तमंत्री विजय चौधरी क्यों नहीं आए? साथ नीतीश के दिल्ली दौरे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मिलने का कोई कार्यक्रम नहीं है?
नीतीश कुमार क्यों आए दिल्ली?
ऐसे सूत्रों की मानें तो नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की दिल्ली यात्रा और पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से मिलने के पीछे ब्यूरोक्रेसी में एक डिप्टी सीएम की दखलंदाजी बड़ा मुद्दा है। सूत्रों की मानें तो नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से राज्य के कुछ आला अधिकारी एक डिप्टी सीएम की बेवजह दखलंदाजी की लगातार शिकायत कर रहे हैं। कुछ ने तो यहां तक कह दिया है कि उनका विभाग बदल दिया जाए। ये अधिकारी उस डिप्टी सीएम से काफी असहज हो रहे हैं और उनका कहना है कि वह यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की तर्ज पर काम करना चाह रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, उस डिप्टी सीएम ने कई अधिकारियों को फोन करके ऐसे काम करने को कहा है जिसे नीतीश कुमार कराना पसंद नहीं करते हैं।
पार्टी सूत्रों की मानें तो नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का मिजाज राज्य के ताजा हालात मेल नहीं खा रहा है। नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की बॉडी लैंग्वेज बता रही है कि उनके दिमाग में कुछ न कुछ जरूर चल रहा है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मुझे लग रहा है कि अचानक दिल्ली जाना कुछ विशेष संकेत दे रहा है। जहां तक मैं उन्हें जानता हूं, उनके फितरत में नहीं है कि ब्यूरोक्रेसी में उनके अलावा किसी और का दखल हो। नीतीश कुमार (Nitish Kumar) न केवल अपने विभाग बल्कि दूसरे विभागों के सचिवों पर भी कंट्रोल रखते हैं। देखिए, नीतीश कुमार (Nitish Kumar) काफी जिद्दी स्वभाव के आदमी हैं। वह दिल्ली में बात करेंगे और अगर उनकी बात को तवज्जो नहीं मिलेगा तो वह अपना स्वभाव के अनुसार फिर पाला बदल लें तो कई हैरानी की बात नहीं होगी।
बिहार के डीजी स्तर के एक बड़े पुलिस अधिकारी कहते हैं कि बिहार के एक डिप्टी सीएम को बात करने का तरीका सीखना चाहिए। किसी को पकड़ कर अंदर कर दो… 24 घंटे में मुझको रिपोर्ट दो नहीं तो ऑफिस से बाहर कर देंगे। रिपोर्ट नहीं दोगे तो हस्र बुरा होगा। सस्पेंड होने का मन है? इस तरह के शब्दों का प्रयोग करना डिप्टी सीएम के पद पर बैठे व्यक्ति की गरिमा के अनुकूल नहीं है। अगर अपराधी ने अपराध किया है तो कानून के तहत ही कार्रवाई होगी या किसी के घर में रात को घुसकर जबरदस्ती पकड़ कर थाना ले आएं?
कहा तो यह भी जा रहा है कि शिक्षा विभाग (Education Department) के प्रधान सचिव केके पाठक (Principal Secretary KK Pathak) का छुट्टी पर जाना भी नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के दिल्ली जाने का एक बड़ा कारण है। एक बड़े आईएएस अधिकारी की मानें तो केके पाठक इस बात से नाराज थे कि उनके काम करने के तौर तरीकों को लेकर उन्हें बार-बार फोन करके चेताया जा रहा था। उस अधिकारी ने कहा कि पाठक कितना ही विवादित क्यों न रहे हों? लेकिन वह सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के सबसे चहेते अधिकारियों में से एक हैं और रिजल्ट देते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आरजेडी नेता तेजस्वी यादव (RJD leader Tejaswi Yadav) के बात में दम है? क्या नीतीश कुमार (Nitish Kumar) एक बार फिर से आने वाले दिनों में कुछ बड़ा फैसला ले सकते हैं?