लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में हार का सामना करने वाले करीब एक दर्जन उम्मीदवारों ने चुनाव आयोग (Election Commission) का दरवाजा खटखटाया है। आवेदन देकर EVM-VVPAT जांच की मांग की है। इसमें भाजपा उम्मीदवार से लेकर अन्य दलों के भी कैंडिडेट शामिल हैं।
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में हार का सामना करने वाले करीब एक दर्जन उम्मीदवारों ने चुनाव आयोग (Election Commission) का दरवाजा खटखटाया है। आवेदन देकर EVM-VVPAT जांच की मांग की है। इसमें भाजपा उम्मीदवार से लेकर अन्य दलों के भी कैंडिडेट शामिल हैं। अपने आवेदनों में इन उम्मीदवारों ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (EVM-VVPAT) यूनिट के मेमोरी वेरिफिकेशन की मांग की है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे कुल 10 उम्मीदवारों के आवेदन चुनाव आयोग (Election Commission) को मिले हैं, जिन्होंने ईवीएम-वीवीपैट (EVM-VVPAT) के सत्यापन की जांच की मांग की है। इनमें से अधिकांश उम्मीदवारों ने एक से तीन ईवीएम यूनिट के सत्यापन की मांग की है। हालांकि कुछ उम्मीदवारों ने इससे ज्यादा यूनिट की जांच की भी मांग की है। इन उम्मीदवारों को प्रत्येक ईवीएम यूनिट के लिए 40,000 रुपये और उस पर 18 फीसदी जीएसटी चुकाना पड़ा है।
जिन लोगों ने ऐसे आवेदन दिए हैं, उनमें महाराष्ट्र के अहमदनगर लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार सुजय राधाकृष्ण विखेपाटिल (BJP candidate Sujay Radhakrishna Vikhepatil) भी शामिल हैं। इन्होंने विधानसभा क्षेत्रवार ईवीएम (EVM) यूनिट की जांच की मांग की है। शरद पवार की एनसीपी के नीलेश ज्ञानदेव लंके ने उन्हें 28929 मतों से हराया है। इनके अलावा ओडिशा में झारसुगुड़ा से बीजू जनता दल की उम्मीदवार दीपाली दास ने भी ऐसी ही मांग की है। वह भाजपा के टंकधर त्रिपाठी से लोकसभा चुनाव 1265 वोटों से हार गई थीं।
दास इस सीट से कई बार सांसद रह चुकी हैं। उन्होंने करीब एक दर्जन ईवीएम-वीवीपैट (EVM-VVPAT) मशीनों की जांच की मांग की है। उन्होंने कहा है कि कुल 19 राउंड की गिनती में 17वें राउंड तक वह आगे चल रही थीं लेकिन अचानक आखिरी दो राउंड की गिनती में वह पिछड़ गईं। यह उन्हें रास नहीं आ रहा है। ईटी से बातचीत में दास ने यह पुष्टि की है कि उन्होंने 13 मशीनों के सत्यापन की मांग चुनाव आयोग (Election Commission) से की है। छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड जहां भाजपा ने क्लीन स्वीप किया है, से एक भी ऐसे आवेदन आयोग को नहीं मिले हैं।
बता दें कि लोकसभा चुनावों के दौरान 26 अप्रैल के अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने सभी ईवीएम-वीवीपैट पर्चियों के मिलान की अर्जी खारिज करते हुए कहा था कि मतगणना के सात दिनों के अंदर उम्मीदवार प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के अधिकतम 5 फीसदी ईवीएम मशीनों की जांच का आवेदन चुनाव आयोग (Election Commission) को दे सकते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा था कि ऐसे आवेदन केवल उपविजेता और दूसरे नंबर के उप विजेता द्वारा ही दायर किया जा सकता है।
एक जून को चुनाव आयोग (Election Commission) ने इस दिशा में निर्देश जारी किए थे और कहा था कि अधिकतम कोई दो उप विजेता ही इस तरह का आवेदन दे सकते हैं। आयोग के निर्देश में ही कहा गया था कि प्रति ईवीएम मशीन के सत्यापन की लागत 40 हजार रुपये प्लस जीएसटी (GST) का भुगतान करना होगा। अगर सत्यापन के दौरान ईवीएम में गड़बड़ी पाई गई तो यह रकम उम्मीदवारों को वापस कर दी जाएगी।