18वीं लोकसभा सत्र (18th Lok Sabha Session) के पहले दिन सोमवार को आपातकाल बनाम अघोषित आपातकाल की जंग तेज हो गई है। पीएम नरेंद्र मोदी (Pm Narendra Modi) ने सदन में जाते हुए मीडिया से बातचीत में 1975 में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी (Former PM Indira Gandhi) की ओर से लगाए गए आपातकाल का जिक्र किया था।
नई दिल्ली। 18वीं लोकसभा सत्र (18th Lok Sabha Session) के पहले दिन सोमवार को आपातकाल बनाम अघोषित आपातकाल की जंग तेज हो गई है। पीएम नरेंद्र मोदी (Pm Narendra Modi) ने सदन में जाते हुए मीडिया से बातचीत में 1975 में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी (Former PM Indira Gandhi) की ओर से लगाए गए आपातकाल का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि 50 साल पहले देश के लोकतंत्र पर कलंक लगा था, जिसे हमें मिटाना है। इसके अलावा संकल्प लेना है कि अब कभी भी देश के साथ वैसी हरकत नहीं हो सकेगी।
पीएम मोदी (Pm Modi)के इस बयान पर पलटवार करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge)ने उन्हें जवाब दिया है। खरगे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Pm Narendra Modi) ने 50 साल पहले के आपातकाल का जिक्र किया, लेकिन पिछले 10 वर्षों के उस ‘अघोषित आपातकाल’ को भूल गए जिसका जनता ने इस लोकसभा चुनाव में अंत कर दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी जी ने अपने customary शब्द आज ज़रुरत से ज़्यादा बोले। इसे कहते हैं, रस्सी जल गई, बल नहीं गया।
देश को आशा थी कि मोदी जी महत्वपूर्ण मुद्दों पर कुछ बोलेंगे।
🔹NEET व अन्य भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक के बारे में युवाओं के प्रति कुछ सहानुभूति दिखाएंगे, पर… pic.twitter.com/AoPRqoURG5
पढ़ें :- लोकतंत्र को कलंकित करने का पाप कांग्रेस और इंडी गठबंधन के लोगों ने किया...विपक्ष पर शिवराज सिंह चौहान का निशाना
— Mallikarjun Kharge (@kharge) June 24, 2024
उन्होंने यह भी कहा कि देश को उम्मीद थी कि संसद सत्र के पहले दिन प्रधानमंत्री नीट एवं अन्य परीक्षओं में ‘पेपर लीक’ जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर बोलेंगे, लेकिन उन्होंने मौन साध लिया। प्रधानमंत्री मोदी ने आपातकाल को लोकतंत्र पर लगा ‘काला धब्बा’ करार देते हुए सोमवार को कहा कि इसकी 50वीं बरसी के मौके पर देशवासी यह संकल्प लें कि भारत में फिर कभी कोई ऐसा कदम उठाने की हिम्मत नहीं करे। 18वीं लोकसभा के पहले सत्र की शुरुआत के अवसर पर संसद परिसर में मीडिया को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने यह बात कही।
खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अपने रस्मी संबोधन में आज ज़रूरत से ज़्यादा बोले। इसे कहते हैं, रस्सी जल गई, बल नहीं गया। उन्होंने कहा कि देश को आशा थी कि मोदी जी महत्वपूर्ण मुद्दों पर कुछ बोलेंगे। नीट व अन्य भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक के बारे में युवाओं के प्रति कुछ सहानुभूति दिखाएंगे, पर उन्होंने अपनी सरकार की धांधली व भ्रष्टाचार के बारे में कोई ज़िम्मेदारी नहीं ली। हाल ही में हुई पश्चिम बंगाल की रेल दुर्घटना के बारे में भी मोदी जी मौन साधे रहे।
जातिगत जनगणना और मणिपुर का भी उठा दिया मसला
खरगे ने दावा किया कि ‘मणिपुर पिछले 13 महीनों से हिंसा की चपेट में है, पर मोदी जी न वहां गए और ना ही उन्होंने आज के अपने भाषण में ताज़ा हिंसा के बारे में कोई चिंता व्यक्त की है। असम व पूर्वोत्तर में बाढ़ हो, कमरतोड़ महँगाई हो, रुपये का गिरना हो, एग्जिट पोल-स्टॉक बाजार घोटाला हो- अगली जनगणना लंबे समय से मोदी सरकार ने लंबित रखी है, जातिगत जनगणना पर भी मोदी जी बिलकुल चुप थे।’
देश में 10 साल चले आपातकाल पर चुप क्यों रह गए पीएम मोदी?
उन्होंने कहा कि पीएम नरेन्द्र मोदी, आप विपक्ष को नसीहत दे रहे हैं। 50 साल पुराने आपातकाल की याद दिला रहे हैं, पिछले 10 साल के अघोषित आपातकाल को भूल गए जिसका जनता ने अंत कर दिया। कांग्रेस अध्यक्ष का कहना था कि लोगों ने मोदी के ख़िलाफ़ जनमत दिया है, इसके बावजूद अगर वो प्रधानमंत्री बन गए हैं तो उन्हें काम करना चाहिए। खरगे ने कहा कि ‘विपक्ष व ‘इंडिया जनबंधन’ संसद में सहमति चाहता है, हम जनता की आवाज़ सदन, सड़क और सभी के समक्ष उठाते रहेंगे। हम संविधान की रक्षा करेंगे। लोकतंत्र ज़िंदाबाद!’