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पटियाला हाउस कोर्ट ने चैतन्यानंद सरस्वती को जब्ती ज्ञापन की प्रतियां देने से किया मना

पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को चैतन्यानंद सरस्वती को जब्ती ज्ञापन की प्रतियां उपलब्ध कराने का निर्देश देने से इनकार कर दिया है। उन्होंने छेड़छाड़ मामले से संबंधित जब्ती ज्ञापन की आपूर्ति करने का निर्देश मांगा था। वह छेड़छाड़ के एक मामले में न्यायिक हिरासत में चल रहे हैं। चैतन्यानंद पर वसंत कुंज उत्तर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी अनिमेष कुमार ने बुधवार को सरस्वती को जब्ती ज्ञापन की प्रतियां उपलब्ध कराने के लिए जांच अधिकारी को निर्देश देने से इनकार कर दिया।

By Satish Singh 
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नई दिल्ली। पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को चैतन्यानंद सरस्वती (Chaitanyananda Saraswati) को जब्ती ज्ञापन की प्रतियां उपलब्ध कराने का निर्देश देने से इनकार कर दिया है। उन्होंने छेड़छाड़ मामले से संबंधित जब्ती ज्ञापन की आपूर्ति करने का निर्देश मांगा था। वह छेड़छाड़ के एक मामले में न्यायिक हिरासत में चल रहे हैं। चैतन्यानंद पर वसंत कुंज उत्तर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी अनिमेष कुमार (Judicial Magistrate First Class Animesh Kumar) ने बुधवार को सरस्वती को जब्ती ज्ञापन की प्रतियां उपलब्ध कराने के लिए जांच अधिकारी (आईओ) को निर्देश देने से इनकार कर दिया। अदालत ने जेल अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे जेल मैनुअल के अनुसार उन्हें संन्यासी वस्त्र पहनने की अनुमति देने के अनुरोध पर विचार करें। सरस्वती ने न्यायिक हिरासत में संन्यासी वस्त्र पहनने की अनुमति मांगी थी। हालांकि अदालत ने चश्मा, किताबें और भोजन की मांग को स्वीकार कर लिया है।

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चैतन्यानंद सरस्वती की याचिकाओं का विरोध करते हुए, दिल्ली पुलिस ने कहा कि चैतन्यानंद सरस्वती संन्यासी नहीं हैं। चैतन्यानंद के वकील मनीष गांधी ने इन दलीलों का विरोध किया था। कहा गया था कि यह उनकी समझ से परे है कि अपनी पसंद के कपड़े पहनने से जेल में कानून-व्यवस्था की समस्या कैसे पैदा हो सकती है। उन्होंने कहा कि सरस्वती एक संन्यासी हैं और उन्हें दीक्षा दी गई थी। उनका पहले नाम पार्थसारथी था, दीक्षा के बाद उनका नाम बदलकर चैतन्यानंद सरस्वती कर दिया गया। अदालत ने कहा था कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि कपड़े और किताबों पर कोई प्रतिबंध नहीं है, इसलिए मैं कैसे रोक लगा सकता हूं। आरोपी के वकील मनीष गांधी ने जेल मैनुअल का भी हवाला दिया था और कहा था कि किसी विचाराधीन कैदी पर अपनी पसंद के कपड़े पहनने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। हमें ऐसी कोई टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है। जवाब जेल नियमावली के अनुसार होना चाहिए। आरोपी के वकील ने दलील दी कि बीएनएसएस के प्रावधानों के अनुसार, आरोपी को ज़ब्ती ज्ञापन देने पर कोई रोक नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें आशंका है कि जांच के दौरान ज़ब्त किए गए दस्तावेज़ों का इस्तेमाल दूसरे मामले में भी किया जा सकता है। अतिरिक्त लोक अभियोजक (एपीपी) ने दलीलों का विरोध किया और कहा कि ऐसे दिशानिर्देश हैं कि आरोप पत्र दाखिल करने से पहले ज़ब्ती की प्रति नहीं दी जा सकती। पटियाला हाउस कोर्ट ने तीन अक्टूबर को चैतन्यानंद को 17 अक्टूबर तक 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

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