उत्तर प्रदेश के आगरा में बेसकीमती जमीनों को लेकर बड़ा खेल किया जा रहा है। यहां पर आगरा विकास प्राधिकरण और बिल्डर की मिलीभगत से कब्जाई जमीन पर बने पूर्वजों की समाधि और देवस्थान को भी नहीं छोड़ा गया। समाधि और पूजा अर्चना करने के लिए देवस्थान को भी बिल्डर ने तोड़ दिया।
आगरा। उत्तर प्रदेश के आगरा में बेसकीमती जमीनों को लेकर बड़ा खेल किया जा रहा है। यहां पर आगरा विकास प्राधिकरण और बिल्डर की मिलीभगत से कब्जाई जमीन पर बने पूर्वजों की समाधि और देवस्थान को भी नहीं छोड़ा गया। समाधि और पूजा अर्चना करने के लिए देवस्थान को भी बिल्डर ने तोड़ दिया। इसको लेकर पीड़ित किसान परिवार ने पुलिस ने लेकर प्रशासन तक की गुहार लगाई थी लेकिन बिल्डर की रसूख के आगे उनकी कहीं सुनवाई नहीं हुई।
पीड़ित परिवार के हाथ से जमीन तो गई ही साथ ही समाधि और पूजा अर्चना करने के लिए बने देवस्थान को भी बिल्डर ने तोड़ दिया। पीड़िता ने इसको लेकर अगस्त 2022 में ही पुलिस से शिकायत की थी लेकिन बिल्डर के रसूख के आगे पीड़ितों कहीं सुनवाई नहीं हुई। पीड़ित परिवार की सोनी देवी की तरफ से इसकी शिकायत की गयी थी। इस शिकायत में कहा गया था कि,
उनके ददिया ससुर किसान/स्व० तेजसिंह व उनके भाई सुखसिंह व राधेश्याम की पुश्तैनी जमीन खसरा संख्या 305 मोहम्मदपुर व खसरा नम्बर 158 अ व 158 व गावं दहतोरा, थाना सिकन्दरा, जिला आगरा में स्थित है, जिसमें उनके पुरखे स्व० मुरली का वर्षों पुराना पत्थर का समाधिस्थल/देवस्थान बना हुआ था।
इसके अलावा वहां पर पीपल व नीम के हर भरे पुराने पेड भी खड़े हुए थे और परिवार के लोग रोज पुरखों के देवस्थान तथा पीपल के पेडों की रोजाना पूजा करते थे। 08.08.2022 को समय सुबह करीब 10 बजे उनकी देवरानी प्रेमवती तथा गीता पुरस्त्रों के उपरोक्त देवस्थान पर पूजा अर्चना करने गई थीं। वहां पहुंचने पर उन्होंने देखा कि पुरखों की समाधि को तोडफोड कर उखाड़ फेंक दिया गया है और वहां पर लगे हरे भरे पुराने पीपल व नीम के पेडों को भी जड से काट कर फेंक दिया गया है। यह देखकर हम लोगों की श्रद्वा और धार्मिक भावनाओं को काफी ठेस पहुंची है। उन्होंने प्रभात माहेश्वरी, कौशल सिंघल और सुबोध कुमार पर गंभीर आरोप लगाए थे। इसके बाद भी उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी, जिसके बाद से अब तक पीड़ित परिवार न्याय की गुहार लगा रहा है।
मामला आगरा के सिकंदरा के दहतोरा व मोहम्मदपुर का है, जहां एक बिल्डर ने आगरा विकास प्राधिकरण के अफसरों के साथ मिलकर किसान की जमीन पर कब्जा कर लिया है। आगरा के दहतोरा निवासी मुकेश कुमार ने इसको लेकर मुख्यमंत्री से लेकर जिलाधिकारी तक शिकायत की है। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा है कि, उनकी करीब साढ़े तेरह बीघा जमीन है, जिससे उनके परिवार का भारण पोषण चलता है। इसी जमीन पर उनके पूर्वजों की समाधि और देवस्थान भी बना हुआ था। उनका कहना है कि, 1989 में उनके पूर्वजों की जमीन को शास्त्रीपुरम योजना के तहत अधिग्रहण किया गया था, जिसकी आपत्ति उनके पूर्वजों ने उच्च न्यायालय में लगा दी थी और स्थगन आदेश ले आए।
पीड़ित मुकेश कुमार का कहना है कि, तभी आगरा निवासी बिल्डर सुबोध सागर ने उसकी मदद करने की बात कहकर नजदीकी बढ़ा ली। सुबोध ने हमारी जमीन को आगरा विकास प्राधिकरण से मुक्त कराने की बात कर धोखाधड़ी की और पांच बीघा जमीन का सौदा एस०जी०पी०के०ए० इन्फ्राटेक के डायरेक्टर गुड्डू गौतम और प्रभात माहेश्वरी से कर दिया। इसके बाद सुबोध ने प्रभात महेश्वरी और गुड्डू गौतम के साथ मिलकर पूरी जमीन पर कब्जा कर लिया।
उन्होंने आगे कहा, मार्च 2014 में जब आगरा प्लानर एवं एस०जी०पी०के०ए० इन्फ्राटेक प्रा०लि० के कर्मचारी हमारी विक्रय की गयी जमीन से अधिक जमीन पर कब्जा करने लगे तो हमने इसका विरोध किया। इस पर कम्पनी के निदेशकों ने कहा कि अब यह सारी जमीन हमारी है। हमने आपकी शेष, जमीन आगरा विकास प्राधिकरण एवं सुबोध कुमार से खरीदी है।
पीड़ित का आरोप है की इसी बीच सुबोध सागर के बहनोई आगरा विकास प्राधिकरण में सचिव बनकर आ थे। उनका फायदा उठाकर बिल्डर प्रभात माहेश्वरी, कंपनी के डायरेक्टर गुड्डू गौतम सहित सुबोध सागर ने बेशकीमती जमीन को अपने नाम करवा लिया जबकि पीड़ित जमीन शासन द्वारा मुक्त कर दी गई थी। पीड़ित का कहना है, मामले में एसआईटी गठित कर पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराकर आरोपियों पर कार्रवाई की जाए। साथ ही अवैध कब्जे व निर्माण कार्य को बन्द कराया जाए।