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प्रभुनाथ मिश्रा की मौत का मामला: DNA जांच रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा, आरोपियों को बचाने के लिए बदला गया बिसरा सैंपल

अयोध्या मेडिकल कॉलेज में कार्यरत संविदाकर्मी प्रभुनाथ मिश्रा की मौत के मामले में अब चौंकाने वाला खुलासा ​हुआ है। आरोपियों को बचाने के लिए मृतक प्रभुनाथ मिश्रा के बिसरा को बदल दिया गया है। अब इसका खुलासा हुआ तो हड़कंप मच गया।

By टीम पर्दाफाश 
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लखनऊ। अयोध्या मेडिकल कॉलेज में कार्यरत संविदाकर्मी प्रभुनाथ मिश्रा की मौत के मामले में अब चौंकाने वाला खुलासा ​हुआ है। आरोपियों को बचाने के लिए मृतक प्रभुनाथ मिश्रा के बिसरा को बदल दिया गया है। अब इसका खुलासा हुआ तो हड़कंप मच गया। दरअलल, CDFD हैदराबाद DNA मिलान की रिपोर्ट जारी की है, जिसमें सामने आया कि, मृतक प्रभुनाथ के अंगों के बिसरा नमूनों का जब जब उसके माता पिता के खून के नमूनों से मिलान किया गया तो DNA परीक्षण में यह पाया गया कि बिसरा का माता पिता से किसी भी प्रकार का जैविक सम्बन्ध नहीं है। इससे साफ होता है कि, बिसरा को बदल दिया गया है।

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दरअसल, अयोध्या मेडिकल कालेज में कार्यरत संविदा कर्मी प्रभुनाथ मिश्रा जिसकी ड्यूटी पर्चा बनाने वाले काउंटर पर थी। घटना से पहले सुबह 11 बजे 2020 बैच की MBBS की छात्रा ऋतु और निर्मला कुमावत ने पर्चा बनवाने का दबाव बनाया, जिससे उन्होंने इनकार कर दिया। इसको लेकर विवाद हुआ। आरोप है कि, इसके बाद प्रभुनाथ मिश्रा को ​पीटा जाता है। मामला प्रचार्य डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार के पास पहुंचा तो उन्होंने इस मामले में मृतक प्रभुनाथ को अगले 8 दिनों तक केबिन में बुलाकर धमाकते और प्रताड़ित करते रहे। इसके साथ ही फर्जी मुकदमें में फंसाने की धमकी देते रहे। इसके बाद 07/08/2024 को डॉ ज्ञानेंद्र कुमार ने प्रभुनाथ को अपने केबिन में बुलाकर माफी मांगने की बात कही और ऐसा नहीं करने पर SC/ST मुक़दमें में फंसाकर जेल भिजवाने की धमकी दी। परिजनों का आरोप है कि, इससे परेशान होकर प्रभुनाथ ने जहर खा लिया। घर पहुंचने पर उसकी तबीयत बिगड़ी तो उसने जहर खाने की जानकारी परिजनों को दी।

प्रभुनाथ की तबीयत बिगड़ने पर उसे इलाज के लिए अयोध्या मेडिकल कालेज ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने डॉ से पर्चे में अलकोहलिक लिखवा देता है जबकि प्रभुनाथ शराब को छूता तक नहीं था। लगभग 8 बजे रात में प्रभुनाथ को भर्ती किया जाता है उसके बाद ज्ञानेंद्र कुमार राउण्ड पर आते उनके आने के बाद प्रभुनाथ की तबीयत ज़्यादा बिगड़ती है और परिजन के बार बार अनुरोध करने के बावजूद उसे दूसरे अस्पताल के लिए डिस्चार्ज नहीं किया जाता है। हालांकि, प्रभुनाथ की तबीयत गंभीर होने के बाद उसे डिस्चार्ज किया जाता है। इसके बाद परिजन उसे अयोध्या से लेकर लखनऊ के लोहिया अस्पताल में पहुंचते हैं लेकिन जांच के दौरान दुर्भयवश प्रभुनाथ की मृत्यु हो जाती है।

इन सबके बीच निर्मला कुमावत और ऋतु द्वारा पेशबंदी करते हुए दिनांक 29/07/24 की पुरानी घटना का पत्र दिनांक 8/8/24 को रात में तीन बजे दिया जाता है और मृतक प्रभुनाथ के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई जाती है। जानकारी के अनुसार हाल ही में इस मुकदमे में पुलिस द्वारा एफआर लगा दी गई है। इधर दूसरी तरफ़ लखनऊ के विभूतिखण्ड थाने की पुलिस पंचनामा करती है और डेड बॉडी पोस्टमार्टम के लिए केजीएमयू मोर्चरी भेजती है। वहां विष आदि तत्वों की गहन जांच के लिए प्रभुनाथ का बिसरा संरक्षित किया जाता है।

वहीं, परिजनों ने अयोध्या कोतवाली में डॉ ज्ञानेंद्र कुमार, ऋतु और निर्मला कुमावत के खिलाफ तहरीर देते हैं लेकिन पुलिस मुक़दमा दर्ज नहीं करती है। इसके बाद कोर्ट की शरण में जाने पर पर पुलिस द्वारा 07/11/2024 को अयोध्या कोतवाली में FIR दर्ज की जाती है। वहीं, इस मामले में डीएम अयोध्या की तरफ से एक मेजिस्टीरियल जांच की जाती है। आरोप है कि, जांच मैजिस्ट्रेट संदीप श्रीवास्तव आरोपी डॉ ज्ञानेंद्र कुमार ऋतु और निर्मला कुमावत को बिना बुलाये या बिना जांच किए ही फाइनल रिपोर्ट में बरी कर देते हैं।

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अब मृतक प्रभुनाथ मिश्रा के पिता जगदीश मिश्रा को अपने बेटे के लिए न्याय का एक मात्र सहारा बिसरा रिपोर्ट ही थी लेकिन कुछ समय बाद जब पता चलता है कि बिसरा रिपोर्ट में जहर नहीं पाया गया तो यह भी आशा टूट जाती हैं। परिजनों का शक है कि, मृतक के बिसरा से छेड़छाड़ की गयी है। दरअसल, 27 मार्च 2025 को CDFD हैदराबाद DNA मिलान की रिपोर्ट जारी करता है जो कि लखनऊ पुलिस द्वारा दिनांक 12 अप्रैल 2025 को मृतक प्रभुनाथ के परिजनों को दी जाती है। जिसका निष्कर्ष पढ़कर सभी के पैरों तले ज़मीन खिसक जाती है। CDFD की रिपोर्ट में बताया गया कि मृतक प्रभुनाथ के अंगों के बिसरा नमूनों का जब जब उसके माता पिता के खून के नमूनों से मिलान किया गया तो DNA परीक्षण में यह पाया गया कि बिसरा का माता पिता से किसी भी प्रकार का जैविक सम्बन्ध नहीं है। मतलब DNA में साफ़ हो गया कि KGMU मोर्चरी के डॉ जिसने प्रभुनाथ मिश्रा का पोस्टमार्टम किया उसने मुख्य आरोपी डॉ ज्ञानेंद्र कुमार से मिली भगत कर उसको बचाने के लिए बिसरा बदल दिया और किसी दूसरी डेड बॉडी से सैंपलिंग कर दी और उस पर नाम प्रभुनाथ मिश्रा अंकित कर दिया।

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