नेहरू गांधी परिवार में पिछली पांच पीढ़ी से देश भक्ति और राष्ट्रसेवा की परंपरा रही है।
नेहरू गांधी परिवार में पिछली पांच पीढ़ी से देश भक्ति और राष्ट्रसेवा की परंपरा रही है। यह कहानी पंडित मोतीलाल नेहरू और श्रीमती स्वरूप रानी नेहरू से शुरू होती है। नेहरू गांधी परिवार के पुरुषों ने सार्वजनिक जीवन में जितना संघर्ष किया है, उससे कहीं ज़्यादा संघर्ष इस परिवार की महिलाओं ने किया है…
स्वरूप रानी नेहरू: स्वरूप रानी नेहरू यानी पंडित जवाहरलाल नेहरू की माताजी अपनी वृद्धावस्था में इलाहाबाद में एक जलूस का नेतृत्व कर रही थीं। वह चलने फिरने में लाचार थीं। इसलिए एक कुर्सी पर बैठकर उन्हें सबसे आगे ले जाया जा रहा था। तभी अंग्रेज़ पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया और स्वरूप रानी नेहरू को कई लाठियां पड़ीं, वे लहुलुहान होकर सड़क पर बेहोश होकर गिर पड़ीं।
कमला नेहरू: दूसरी कहानी पंडित नेहरू की पत्नी कमला नेहरू की है। सविनय अवज्ञा आंदोलन के समय जब पूरा नेहरू परिवार जेल चला गया तो इलाहाबाद में कांग्रेस का नेतृत्व करने की ज़िम्मेदारी कमला नेहरू के ऊपर आयी। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, उन्होंने लाठीचार्ज का बहादुरी से सामना किया, जुलूसों का आयोजन किया, सभाओं को संबोधित किया और शराब और विदेशी कपड़े की दुकानों के सामने धरना का नेतृत्व किया। भारत की स्वतंत्रता के लिए उन्हें कई दिनों और महीनों तक जेल में रहना पड़ा।
इंदिरा गांधी: अपनी दादी और मां की परंपरा निभाते हुए इन्दिरा गांधी भारत छोड़ो आंदोलन में जेल गईं। बाद में भारत के प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने सांप्रदायिक शक्तियों का डटकर मुक़ाबला किया और आतंकवादियों की गोली का शिकार होकर शहीद हो गईं।
सोनिया गांधी: इंदिरा गांधी की बहू सोनिया गांधी एक ऐसे समय में सार्वजनिक जीवन में आयीं, जब उनकी सास इंदिरा गांधी और पति राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी। देश की आर्थिक स्थिति विकट थी। सांप्रदायिक शक्तियां सिर उठा चुकी थीं और देश में बिखराव का वातावरण था। कांग्रेस पार्टी कमज़ोर हो चुकी थी। यहां से सोनिया गांधी ने भारत की राजनीति को नई दिशा दी और देश को उन संवैधानिक मूल्यों के साथ आगे बढ़ाया जिनकी कल्पना राष्ट्र निर्माताओं ने की थी।
प्रियंका गांधी: आज जब प्रियंका गांधी ने लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ ली तो उनके सामने अपने परिवार की महिलाओं का महान चरित्र, देश प्रेम, बलिदान और नेतृत्व करने की क्षमता है। यह ऐसा रास्ता है जिसमें सत्ता के फूल कम और संघर्ष के कांटे ज़्यादा मिलते हैं। देश को विश्वास है कि प्रियंका गांधी इस महान विरासत को आगे बढ़ाएंगी और सार्वजनिक जीवन में नए कीर्तिमान स्थापित करेंगी।
बता दें कि, कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने सोशल मीडिया एक्स पर पीयूष बबेले की इस पोस्ट को शेयर किया है।