Haryana Airforce Pilot Sidharth Yadav: हरियाणा का लाल 2 अप्रैल को गुजरात के जाम नगर शहीद पायलट सिद्धार्थ यादव शहीद हो गए थे। शुक्रवार को उनके पैतृक गांव में अंतिम विदाई में उनकी मंगेतर सोनिया और परिवार की आंखें नम थीं। 28 वर्षीय सिद्धार्थ की जगुआर क्रैश में शहादत हुई। 2 नवंबर को उनकी शादी होनी थी।
Haryana Airforce Pilot Sidharth Yadav: हरियाणा का लाल 2 अप्रैल को गुजरात के जाम नगर शहीद पायलट सिद्धार्थ यादव शहीद हो गए थे। शुक्रवार को उनके पैतृक गांव में अंतिम विदाई में उनकी मंगेतर सोनिया और परिवार की आंखें नम थीं। 28 वर्षीय सिद्धार्थ की जगुआर क्रैश में शहादत हुई। 2 नवंबर को उनकी शादी होनी थी।
शहीद पायलट सिद्धार्थ के पार्थिव शरीर के आगे उनकी मंगेतर सोनिया चीत्कार मारकर रोते हुए बार-बार कह रही थी कि ‘बेबी तू आया नहीं मुझे लेने…तू बोल कर गया था कि मैं तुझे लेने आऊंगा’। शहीद के ताबूत पर बरबस उनके आंसू गिर रहे हैं और साथ खड़े वायुसेना के जवान भी सोनिया की चीख पुकार देखकर अपने आंसू रोक नहीं पा रहे हैं। हर किसी की आंख नम है। लेकिन, अब सिदार्थ यादव दुनिया को अलविदा कह चुके हैं। मां से लेकर पिता और रिश्तेदार, सबकी आंखें नम हैं।
पूरा गांव भी अपने लाड़ने को अंतिम विदाई देने के लिए उमड़ा हुआ है। लोग उनके अमर होने के उद्घोष लगा रहे हैं और लेफ्टिनेंट पायलट सिद्धार्थ यादव अनंत की यात्रा पर निकल चुके हैं। उनके हिस्से में 28 साल ही जिदंगी ही लिखी थी। कम उम्र में भी वह अपना नाम अजर उमर कर गए। अब उनकी कहानियां सुनाई जाएंगी।
दरसअल, गुजरात के जाम नगर में हुए जगुआरजेट फाइटर क्रैश में हरियाणा के रेवाड़ी के गांव भालखी माजरा के 28 साल के पायलट सिद्धार्थ यादव शहीद हो गए। शुक्रवार को उनका पार्थिव शरीब उनके गांव पहुंचा और यहां पर उन्हें सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। अपने मंगेतर को विदाई देने के लिए सोनिया भी मौके पर पहुंचे और उनके शव के पास रोती रही। गौरतलब है कि 23 मार्च को ही सिद्धार्थ और सोनिया की सगाई हुई थी और आने वाले दो नवंबर 2025 को उनकी शादी होनी थी। हालांकि, मां और पिता का बेटे को सेहरे में देखने का सपना टूट गया।
शुक्रवार को पैतृक गांव भालखी माजरा में पिता सुशील यादव ने 28 साल के शहीद बेटे की चिता को मुखाग्नि दी। इस दौरान एयरफोर्स की टुकड़ी ने हथियार उल्टे कर और फायर कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ 2 अप्रैल को जामनगर में हुए जगुआर क्रैश में शहीद हुए थे। शहीद होने से पहले उन्होंने अपने साथी की जान बचाई थी। आज सुबह ही उनकी पार्थिव देह रेवाड़ी में उनके नए घर लाई गई, जिसके बाद उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई।
सिद्धार्थ की 10 दिन पहले ही हुई थी सगाई
अंतिम संस्कार के मौके पर उनकी मंगेतर भी श्मशान घाट में पहुंची। इस दौरान वह पार्थिव देह को देख रोती रहीं और बार-बार कहतीं,कि प्लीज एक बार मुझे उसकी शक्ल दिखा दो। मंगेतर सानिया ने कहा कि मुझे सिद्धार्थ पर गर्व है। सिद्धार्थ की शादी 2 नवंबर को होनी थी, जिसके लिए घर में तैयारियां चल रही थीं।
मंगेतर को विदाई देने के लिए सोनिया भी मौके पर पहुंचे और उनके शव के पास रोती रही। शहीद की मां सुशीला यादव और बहन खुशी भी इस मौके पर रोती रहीं। मां सुशीला ने कहा,कि मुझे अपने बेटे पर गर्व है। मैं देश की हर मां से कहना चाहती हूं कि वे अपने बेटों को देशसेवा के लिए सेना में भेजें। मुझे उसकी जननी होने पर गर्व है, वो देश के लिए डरा नहीं। मेरा पूरा परिवार सेना में था, ये जानते हुए भी मैंने उसे सेना में भेजा। मुझे उसकी शहादत पर गर्व है। रुंधे गले से उन्होंने कहा,कि उसके नेचर का मैं नहीं बता सकती, वो कैसा था।
Rewari, Haryana: Martyr Flight Lieutenant Siddharth Yadav was given a final farewell with full national honors in his ancestral village, Bhalaki Majra. His father performed the last rites, while the Air Force paid tribute pic.twitter.com/yoNRO4NC29
— IANS (@ians_india) April 4, 2025
सिद्धार्थ के पिता सुशील यादव बोले, कि उनका सपना था कि बेटा चीफ ऑफ एयर स्टाफ बनकर ही घर आए। हर एयरफोर्स अधिकारी के पिता का यही सपना होता है, उनका भी यही सपना था। पिता ने बताया कि 2 नवंबर की शादी रखी गई थी. उधर, विंग कमांडर सचिन चंद्र ने कहा कि मुझे पायलट से विशेष लगाव है और मेरा बेटा भी पायलट है। सिद्धार्थ यादव एक होनहार और जांबाज़ पायलट थे। उन्होंने देश के लिए अपना बलिदान दिया है।
तीन दिन पहले ही लौटे थे छुट्टी से
गौरतलब है कि सिद्धार्थ यादव ने 2017 में वायुसेना जॉइन की थी। सिद्धार्थ के पिता सुशील कुमार वायुसेना से रिटायर हुए थे। वहीं, दादा रघुबीर सिंह और परदादा भारतीय सेना में सेवा कर चुके हैं। उनके परिवार में माता पिता के अलावा, एक छोटी बहन खुशी हैं। हादसे का शिकार होने से पहले 31 मार्च को ही सिद्धार्थ घर से ड्यूटी पर लौटे थे।