हाल ही में यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम–इंडिपेंडेंट के वरिष्ठ नेता अरुणोदई दहोतिया ने अरुणाचल प्रदेश के भारत–म्यांमार सीमा क्षेत्र में आत्मसमर्पण किया। अरुणोदई उत्तर-पूर्व में चल रही दशकों पुरानी उग्रवाद समस्या के समाधान की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ है।
नई दिल्ली। हाल ही में यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम–इंडिपेंडेंट (Senior United Liberation Front of Assam-Independent leader Arunodai Dahotia surrenders) के वरिष्ठ नेता अरुणोदई दहोतिया (Arunodai Dahotia) ने अरुणाचल प्रदेश के भारत–म्यांमार सीमा क्षेत्र (India–Myanmar border region) में आत्मसमर्पण किया। अरुणोदई उत्तर-पूर्व में चल रही दशकों पुरानी उग्रवाद समस्या के समाधान की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ है।
बता दे यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम–इंडिपेंडेंट के वरिष्ठ नेता अरुणोदई दहोतिया, जिन्हें अरुणोदई असम या बिजित गोगोई के नाम से भी जाना जाता है। 2002 में संगठन से जुड़े और बाद में वित्त सचिव बने। वह ULFA-I प्रमुख परेश बरुआ (ULFA-I chief Paresh Barua) के विश्वसनीय सहयोगी माने जाते थे। पूर्वी असम में संगठनात्मक गतिविधियों और वित्तीय नेटवर्क के संचालन में दहोतिया की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। उन पर NIA द्वारा कई मामलों में आरोप तय किए गए, जिनमें 2018 में तिनसुकिया में पुलिस अधिकारी भास्कर कलिता की हत्या का मामला भी शामिल है।
यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम–इंडिपेंडेंट (ULFA-I) असम का एक प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन है, जो राज्य से स्वतंत्र असम की मांग को हथियारबंद आंदोलन के माध्यम से आगे बढ़ाता है। इसके मूल संगठन ULFA की स्थापना सात अप्रैल 1979 को हुई थी, परंतु 2011 के बाद यह दो समूहों में बंट गया।