शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती (Shankaracharya Swami Avimukteshwarananda) ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य (Jagadguru Rambhadracharya) के लगाए गए आरोपों का कड़ा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि अगर रामभद्राचार्य मुझे शंकराचार्य के रूप में स्वीकार नहीं करते, तो इसका कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन उन्हें संवेदनशील होना चाहिए।
प्रयागराज। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती (Shankaracharya Swami Avimukteshwarananda) ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य (Jagadguru Rambhadracharya) के लगाए गए आरोपों का कड़ा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि अगर रामभद्राचार्य मुझे शंकराचार्य के रूप में स्वीकार नहीं करते, तो इसका कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन उन्हें संवेदनशील होना चाहिए। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि अगर रामभद्राचार्य निर्मोही हैं, तो उन्हें सत्ता से कोई मोह नहीं रखना चाहिए, क्योंकि यह सत्ता के प्रति मोह छोड़ पाना जरूरी है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने यह भी कहा कि रामभद्राचार्य को समझना चाहिए कि शक्ति और सत्ता का मोह उन्हें दूर कर देना चाहिए।
महाकुंभ के आयोजन पर शंकराचार्य ने तीखा पलटवार करते हुए कहा कि अब महाकुंभ में सैनिक शासन जैसी व्यवस्था हो गई है, जिसमें शंकराचार्य को पीछे कर दिया गया है और अखाड़ों को प्राथमिकता दी गई है। उनका कहना था कि हमें स्नान के लिए किसी सवारी की आवश्यकता नहीं है, हम अपनी इच्छानुसार पुण्य कमाते हुए जाते हैं। शंकराचार्य ने यह भी कहा कि उनकी प्रतिष्ठा अत्यधिक महत्वपूर्ण है, और यह ब्रांड इतना बड़ा है कि देशभर में उनके जैसे कई नकलकार उत्पन्न हो गए हैं।
फलहरी बाबा द्वारा उन्हें कुंभ से बाहर करने की चिट्ठी पर शंकराचार्य ने कहा कि वह पूरी तरह से इस बात से सहमत हैं कि महाकुंभ से अफवाह फैलाने वालों को बाहर करना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने जानबूझकर मृतकों के आंकड़े छिपाए और इससे अफवाहें फैलाने का काम किया, जिसके कारण उन्हें कुंभ से बाहर कर देना चाहिए। शंकराचार्य ने यह भी कहा कि ऐसे अफवाह फैलाने वाले नेताओं को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए ताकि जनता को सही जानकारी मिल सके और महाकुंभ की पवित्रता बनी रहे।
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद (Shankaracharya Swami Avimukteshwarananda) के बयानों के बाद कई संतों ने उनकी आलोचना की थी। संतों और महंतों ने उन्हें सलाह दी थी कि सीएम से इस्तीफा मांगना गलत है। महाकुंभ में मची भगदड़ को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) से जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज द्वारा इस्तीफा मांगने पर अयोध्या के श्री हनुमत निवास पीठाधीश्वर महंत मिथिलेश नंदिनीशरण जी महाराज (Shri Hanuman Niwas Peethadheeswar Mahant Mithilesh Nandinisharan Ji Maharaj of Ayodhya) ने कहा था कि यह बहुत दुखद घटना है लेकिन इस घटना को लेकर सरकार और मुख्यमंत्री पर निशाना साधना हताशा का प्रतीक है। वहां बहुत भीड़ है। वे सामान्य नियमों का भी पालन नहीं कर पा रहे हैं और इसी कारण ऐसी स्थिति बन रही है। मुख्यमंत्री से इस्तीफा मांगना गहरी हताशा है और कुछ नहीं। यह हमारे लिए शर्मनाक है। उनके जैसे महत्वपूर्ण व्यक्ति को इस तरह की ओछी बयानबाजी नहीं करनी चाहिए।