सनातनधर्म में व्रत की श्रंखला में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। आज कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की त्रयोदशी तिथि है और आज नवंबर महीने का पहला प्रदोष व्रत रखा जाता है।
Som Pradosh Vrat 2025 : सनातनधर्म में व्रत की श्रंखला में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। आज कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की त्रयोदशी तिथि है और आज नवंबर महीने का पहला प्रदोष व्रत रखा जाता है। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। इस व्रत के पालन में भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। सोम प्रदोष पर महादेव को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर दूध, गंगाजल, बेलपत्र और धतूरा चढ़ाया जाता है और रुद्राभिषेक करने की विशेष महिमा है।
सोम प्रदोष के दिन शाम को दीपदान करना, शिव चालीसा पढ़ना और गरीबों को भोजन कराना भी फलदायी होता है।
‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें। जिससे भंडार भर सकते हैं।
शिव चालीसा का पाठ
व्रत के दौरान, भक्त सात्विक भोजन खाते हैं और अनाज, चावल और दाल से परहेज करते हैं।
शिव चालीसा का पाठ
सोम प्रदोष के दिन शिव चालीसा का पाठ करना और शिव पुराण जैसे धर्म ग्रंथों को पढ़ना चाहिए।
सोम प्रदोष उपाय
विवाह की बाधा- 108 बेलपत्र पर चंदन से ‘श्री राम’ लिखकर अर्पित करें।
धन-धान्य – शिवलिंग पर सुगंधित तेल चढ़ाने से धन-धान्य और भौतिक सुख की प्राप्ति होती है।
चित्त शांति- सुबह के समय भगवान शिव के सामने बैठकर और पूर्व दिशा की ओर मुख करके “ॐ” का उच्चारण करें।
दान- गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराएं।