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CJI पर सर्वोच्च न्यायालय में हुए हमले की निंदा करने के लिए पर्याप्त शब्द नहीं, यह हमारे संविधान पर है हमला : सोनिया गांधी

कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी (CPP Chairperson Sonia Gandhi) ने कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश पर सर्वोच्च न्यायालय में हुए हमले की निंदा करने के लिए शब्द पर्याप्त नहीं हैं। यह न केवल उन पर, बल्कि हमारे संविधान पर भी हमला है।

By संतोष सिंह 
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नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी (CPP Chairperson Sonia Gandhi) ने कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश पर सर्वोच्च न्यायालय में हुए हमले की निंदा करने के लिए शब्द पर्याप्त नहीं हैं। यह न केवल उन पर, बल्कि हमारे संविधान पर भी हमला है। उन्होंने कहा कि मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई बहुत दयालु रहे हैं, लेकिन राष्ट्र को गहरी पीड़ा और आक्रोश के साथ उनके साथ एकजुटता से खड़ा होना चाहिए।

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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया एक्स पोस्ट पर लिखा कि मैं उस घटना की कड़ी निंदा करता हूं जिसमें एक वकील ने सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति बीआर गवई पर जूता फेंकने का प्रयास किया। मुख्य न्यायाधीश और न्यायपालिका, दोनों का अपमान करने वाले उस बेलगाम वकील के विरुद्ध तत्काल कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।

जाति-आधारित पूर्वाग्रह और मनुवादी मानसिकताएं भारतीय संविधान के लागू होने के 75 साल बाद भी हैं कायम

दलित समुदाय से आने वाले न्यायमूर्ति बीआर गवई अपनी योग्यता और दृढ़ता के बल पर जड़ जमाए सामाजिक बाधाओं को पार करके न्यायपालिका के सर्वोच्च पद तक पहुंचे हैं। यह घटना इस बात की कड़ी याद दिलाती है कि जाति-आधारित पूर्वाग्रह और मनुवादी मानसिकताएं भारतीय संविधान के लागू होने के 75 साल बाद भी कायम हैं।

उन्होंने कहा कि मैं मुख्य न्यायाधीश गवई को आश्वस्त करना चाहता हूं कि वे अकेले नहीं हैं। संविधान के मूल्यों को बनाए रखने वाले करोड़ों धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक नागरिक उनके साथ दृढ़ता से खड़े हैं। मुख्य न्यायाधीश किसी धर्म या राजनीतिक दल का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। इस दृष्टिकोण से, मैं सभी जातियों, धर्मों और राजनीतिक संबद्धताओं के लोगों से एक स्वर में इस घृणित कृत्य की स्पष्ट रूप से निंदा करने की अपील करता हूं।

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उन्होंने कहा कि हमें इस तथ्य को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए कि जाति और धर्म पर आधारित विभाजनकारी राजनीति ने राकेश किशोर जैसे मनुवादी दृष्टिकोणों को उभरने और फलने-फूलने के लिए परिस्थितियां पैदा की हैं। जिस तरह कुछ लोग नाथूराम गोडसे- एक दोषी हत्यारे- को राष्ट्रवादी प्रतीक के रूप में महिमामंडित करने का प्रयास करते हैं, उसी तरह अब हम ऐसे ही तत्वों को वकील के शर्मनाक कृत्य का जश्न मनाते हुए देख रहे हैं। यह ज़रूरी है कि न केवल अपराधी के खिलाफ, बल्कि उन लोगों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाए जो इस तरह के व्यवहार का समर्थन या प्रोत्साहन कर रहे हैं।

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