सुन्नी वक्फ बोर्ड लखनऊ (Sunni Waqf Board Lucknow) ने पत्र जारी कर यूपी कॉलेज (UP college) की जमीन पर से अपना दावा छोड़ने की घोषणा की है। अपने पत्र में कहा है कि उसके द्वारा 2018 में जारी दावे की नोटिस को 18 जनवरी 2021 को निरस्त कर दिया गया है। अब कोई भी कार्यवाही वक्फ बोर्ड के कार्यालय में प्रचलित नहीं है।
वाराणसी। सुन्नी वक्फ बोर्ड लखनऊ (Sunni Waqf Board Lucknow) ने पत्र जारी कर यूपी कॉलेज (UP college) की जमीन पर से अपना दावा छोड़ने की घोषणा की है। अपने पत्र में कहा है कि उसके द्वारा 2018 में जारी दावे की नोटिस को 18 जनवरी 2021 को निरस्त कर दिया गया है। अब कोई भी कार्यवाही वक्फ बोर्ड के कार्यालय में प्रचलित नहीं है। सुन्नी वक्फ बोर्ड (Sunni Waqf Board) के 2018 के पत्र जिसमें यूपी कालेज (UP college) की जमीन को वक्फ की जमीन बताई गई थी। उसके वायरल होने के बाद से मुस्लिम पक्ष के लोगों की मजार पर नमाज पढ़ने के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी। जिससे छात्र आक्रोशित हो गए थे। मंगलवार को छात्रों ने हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) पढ़ कर विरोध जताया था। इस दौरान कई छात्रों की गिरफ्तारी भी हुई थी।
इस मामले में उदय प्रताप कॉलेज (Uday Pratap College) के प्रिंसिपल ने कहा कि उक्त मजार को स्कूल परिसर से हटा दिया जाना चाहिए। इस विषय को वह प्रबंध समिति के सामने उठाएंगे क्योंकि, कॉलेज कंपाउंड के अंदर बनी ये मजार/मस्जिद अवैध अतिक्रमण है। फिलहाल, प्रिंसिपल ने अपील की है कि 40-50 की सीमित संख्या में ही नमाजी यहां आएं, जिससे माहौल ना बिगड़े।
उधर, ज्ञानवापी की देखरेख करने वाली कमेटी से जुड़े एसएम यासीन ने कहा कि उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड (UP Sunni Waqf Board Lucknow)ने स्पष्ट किया है कि उदय प्रताप कॉलेज (Uday Pratap College) प्रशासन को जारी नोटिस को 2021 में ही निरस्त किया जा चुका है। इसलिए कोई भी किसी के उकसावे में न आए। साथ ही अफवाहों पर ध्यान ना दे। सभी लोग शांतिपूर्ण तरीके से रहें। कॉलेज की प्रॉपर्टी पर वक्फ का कोई दावा नहीं है।
वहीं, कॉलेज प्रशासन ने कहा कि कहीं भी कागज-खतौनी में मस्जिद का उल्लेख नहीं है। पहले सीमित संख्या में लोग नमाज पढ़ने के लिए आते थे, लेकिन बीते शुक्रवार को बड़ी संख्या में लोग पहुंच गए। जिसके बाद कॉलेज के छात्र भड़क उठे। उन्होंने हनुमान चालीसा पढ़ने की कोशिश की। साथ ही वक्फ बोर्ड का पुतला भी दहन किया। हालांकि, बाद में उन्हें समझा-बुझाकर शांत करा दिया गया। पुलिस शांति-व्यवस्था बनाए रखने में पूरा सहयोग कर रही है।
इस बीच एक छात्र नेता ने दावा करते हुए कहा कि वक्क बोर्ड का गठन 1954 में हुआ है और उदय प्रताप कॉलेज (Uday Pratap College) की स्थापना 1909 में हुई। तो फिर कॉलज की जमीन वक्फ बोर्ड की कैसे हो सकती है। इस पूरे मामले में वाराणसी के पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने कॉलेज कैंपस के निरीक्षण के दौरान बताया कि कैंपस में हुई घटना के मद्देनजर सभी एंट्री और एग्जिट पॉइंट पर फोर्स लगा दी गई है। कॉलेज में छात्र कर्मचारी और शिक्षकों के अलावा कोई भी अन्य प्रवेश नहीं कर पाएगा। छात्रों की परीक्षा और पढ़ाई में व्यवधान ना हो, इसके लिए भी पूरी कोशिश की जा रही है।