मध्यप्रदेश के आठ जिलों में सबसे ज्यादा पराली जलाई गई है। पराली जलाने के कारण मिट्टी की उर्वरता क्षमता भी तेजी से घट रही है। 5 साल पहले जिन खेतों में एक एकड़ में 10 क्विंटल पैदावार होती थी वह मात्र 6 क्विंटल के अंदर सीमित रह गई है।
भोपाल। मध्यप्रदेश के आठ जिलों में सबसे ज्यादा पराली जलाई गई है। पराली जलाने के कारण मिट्टी की उर्वरता क्षमता भी तेजी से घट रही है। यह खुलासा हुआ है भारतीय कृषि अनुसंधान केन्द्र में मिट्टी की हुई टेस्टिंग में। दरअसल केन्द्र ने मध्यप्रदेश के 52 जिलों में से आठ हजार मिट्टी के सैंपल जांच के लिए लिए थे और इसके बाद ही यह खुलासा हुआ है।
प्रदेश के आठ जिलों में सबसे ज्यादा नरवाई जलाई गई है। इनमें नर्मदापुरम, सीहोर, विदिशा, इंदौर, उज्जैन, हरदा, रायसेन, देवास और भोपाल में सबसे ज्यादा पराली जलाई गई है। 8000 में से 1700 सैंपल ऐसे जिसमें 20 से 44% भूमि की उर्वरा शक्ति घटी हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र की रिपोर्ट के आधार पर पैदावार की भी समीक्षा की गई है। 5 साल पहले जिन खेतों में एक एकड़ में 10 क्विंटल पैदावार होती थी वह मात्र 6 क्विंटल के अंदर सीमित रह गई है। सबसे ज्यादा नर्मदापुरम जिले में पराली जलाने की 5774 घटनाएं हुई है। इसी तरह प्रदेश के सीहोर 2416, विदिशा 1445, इंदौर 1439, उज्जैन 1322, हरदा 1301, रायसेन 1186, देवास 1063, भोपाल में 338 पराली जलाने के मामले हुए हैं।