लोकसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं। चुनाव के नतीजे आने के बाद ओबीसी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कालीशंकर ने कहा कि जब ये पार्टियां सत्ता में रहीं तो ओबीसी की बात नहीं किए। जब ये सत्ता में रहे, तो इन्हें पीडीए भी याद नहीं आया। उसे समय इन्हें आबादी के हिसाब से भागीदारी याद नहीं आई।
गोरखपुर। लोकसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं। चुनाव के नतीजे आने के बाद ओबीसी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कालीशंकर ने कहा कि जब ये पार्टियां सत्ता में रहीं तो ओबीसी की बात नहीं किए। जब ये सत्ता में रहे, तो इन्हें पीडीए भी याद नहीं आया। उसे समय इन्हें आबादी के हिसाब से भागीदारी याद नहीं आई। जब यह सत्ता में रहे तो इन्हें जाति जनगणना याद नहीं आई। सत्ता से हटते ही इनका प्रेम उमड़-उमड़कर ओबीसी के प्रति बढ़ने लगा। ओबीसी समाज लगातार धोखा खा रहा था। जो उनका संवैधानिक अधिकार रहा है, आजादी के बाद से आबादी के अनुसार जो आरक्षण की वे मांग कर रहे हैं वह अधिकार कहीं न कहीं धोखेबाजी के चक्कर में फंस गया है। यही वजह है कि उन लोगों ने नोटा दबाया।
इस बार के चुनाव की तुलना पिछले चुनाव से की जाए तो देखने को मिलेगा कि ऐसा उलटफेर हुआ है कि जहां प्रत्याशी जितने मार्जिन से हारे हैं, उससे अधिक वहां पर नोटा पड़ा है। यूपी की तमाम ऐसी सीटें हैं, जो प्रभावित हुई हैं। यह उनकी झांकी थी। ओबीसी पार्टी 2027 में देश की पहली पिछड़ों की पार्टी बनेगी, जो अपने दम पर सरकार बनायेगी और अपने हक और अधिकार कानून बनाकर लेकर रहेगी।
एक सवाल के जवाब में काली शंकर ने कहा कि जनता बहुत होशियार हो चुकी है। जनता को 1947 के पहले वाली जनता न समझा जाए। अब बहुत से पढ़े-लिखे लोग आ गए हैं। ओबीसी समाज अब काफी होशियार हो चुका है। सबसे अधिक असर इस चुनाव में किसी ने डाला है, तो वह ओबीसी समाज और वोटर्स ने प्रभाव डाला है। कई सीटों पर डबल इंजन की सरकार के हारने का जो सबसे बड़ा कारण है।
रिपोर्ट—रवि जायसवाल, गोरखपुर