Controversial statement of IAS Santosh Verma: मध्य प्रदेश में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ (अजाक्स) के अध्यक्ष संतोष वर्मा ने हाल ही में ब्राह्मण बेटियों को लेकर अपमानजनक टिप्पणी की थी। जिसको लेकर ब्राह्मण और सवर्ण संगठनों ने कड़ी नाराजगी जाहिर की थी। हालांकि, विवाद बढ़ने पर आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा ने माफी मांग ली थी। अब इस मामले में राज्य की मोहन यादव सरकार ने आईएएस को नोटिस भेजकर 7 दिनों के भीतर जवाब मांगा है।
Controversial statement of IAS Santosh Verma: मध्य प्रदेश में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ (अजाक्स) के अध्यक्ष संतोष वर्मा ने हाल ही में ब्राह्मण बेटियों को लेकर अपमानजनक टिप्पणी की थी। जिसको लेकर ब्राह्मण और सवर्ण संगठनों ने कड़ी नाराजगी जाहिर की थी। हालांकि, विवाद बढ़ने पर आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा ने माफी मांग ली थी। अब इस मामले में राज्य की मोहन यादव सरकार ने आईएएस को नोटिस भेजकर 7 दिनों के भीतर जवाब मांगा है।
जानकारी के अनुसार, मध्य-प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने ब्राह्मण बेटियों पर अपमानजनक टिप्पणी को लेकर आईएएस संतोष वर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। सामान्य प्रशासन विभाग ने उनकी टिप्पणी को सिविल सेवा आचरण नियमावली का उल्लंघन माना है। आईएएस से सात दिनों में जवाब मांगा गया है। दरअसल, वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा ने अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी कर्मचारी संघ अधिवेशन में खुले मंच से ‘एक परिवार में एक ही व्यक्ति को आरक्षण’ की सोच के विरोध किया। इस दौरान उन्होंने दलील देते हुए कह दिया कि यह तब तक मंजूर नहीं होगा जब तक कोई ब्राह्मण अपनी बेटी उनके बेटे को दान ना कर दे या उसका उससे संबंध ना बने।
आईएएस संतोष वर्मा के बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने पर ब्राह्मण और सवर्ण संगठन में गुस्सा है। भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने इस पर नाराजगी जाहिर की है। अब अपने बयान को लेकर संतोष वर्मा ने सफाई देते हुए कहा कि उनका मकसद पॉलिटिकल हंगामा खड़ा करना नहीं था। आईएएस संतोष वर्मा ने कहा, “मेरा मकसद कोई सियासी बवाल मचाने का नहीं था। हमारी प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक थी। इस बैठक में हमारा अहम मुद्दा यह था कि आर्थिक आधार पर आरक्षण होना चाहिए, सामाजिक आधार पर नहीं होना चाहिए। इस मुद्दे पर सभी अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। जैसे कुछ लोगों का मानना था कि आईएएस अफसर अगर हो जाते हैं तो उस परिवार में किसी और को आरक्षण की पात्रता नहीं होनी चाहिए।”