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नाम है NEET लेकिन रिजल्ट देख कर ये प्रक्रिया कहीं भी ‘साफ, स्वच्छ या स्वस्थ’ नहीं लगती: पवन खेड़ा

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि, हमारी मांग कि, 580 से ज्यादा अंक पाने वाले छात्रों के परीक्षा केंद्रों के नाम जारी किए जाएं। 12वीं के बोर्ड के मार्क्स का मिलान NEET के टॉपर्स के साथ किया जाए। जिन एग्जाम सेंटर पर औसत से ज्यादा हाई मार्क्स वाले परीक्षार्थी हैं, उनकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी जारी की जाए। उन तमाम बच्चों की सूची जारी की जाए, जिन्होनें विंडो का लाभ उठाते हुए अपने एग्जाम सेंटर्स बदले।

By शिव मौर्या 
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नई दिल्ली। नीट परीक्षा को लेकर जारी विवाद के बाद कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने प्रेस कॉफ्रेंस करके सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि, नाम है NEET.. लेकिन रिजल्ट देख कर ये प्रक्रिया कहीं से भी ‘साफ, स्वच्छ या स्वस्थ’ नहीं लगती। इस परीक्षा के माध्यम से देश के 24 लाख बच्चों के भविष्य पर पानी फेर दिया गया है। पिछले 8 साल में 7 ऐसे छात्र थे, जो पूरे अंक लाए लेकिन इस साल 67 छात्र पूरे अंक लेकर आए। इस पर शिक्षा मंत्री का कोई जवाब नहीं है। जब बिहार में पुलिस ने पेपर लीक के मामले में कुछ लोगों को पकड़ा और गुजरात के गोधरा में भी ऐसा मामला निकला, तब ये घोटाला सामने आया।

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उन्होंने आगे कहा कि, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने कोर्ट में लीपापोती की पूरी कोशिश करते कहा कि: हमने टाइम लॉस की वजह से 1563 बच्चों को ग्रेस मार्क्स दिये और सुप्रीम कोर्ट के एक जजमेंट को कोट किया। जजमेंट को कोट करते हुए NTA ने कहा कि अगर बच्चों को टाइम लॉस होता है तो कैलकुलेट करके उन्हें ग्रेस मार्क दिया जाता है। जबकि उसी जजमेंट में स्पष्ट लिखा है कि इंजीनियरिंग और मेडिकल इस कैटेगरी में नहीं आते। उन्हें टाइम लॉस पर ग्रेस मार्क नहीं दे सकते। अब सोचिए कि यह सरकार किस स्तर पर गिरकर लीपापोती कर सकती है।

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि, हमारी मांग कि, 580 से ज्यादा अंक पाने वाले छात्रों के परीक्षा केंद्रों के नाम जारी किए जाएं। 12वीं के बोर्ड के मार्क्स का मिलान NEET के टॉपर्स के साथ किया जाए। जिन एग्जाम सेंटर पर औसत से ज्यादा हाई मार्क्स वाले परीक्षार्थी हैं, उनकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी जारी की जाए। उन तमाम बच्चों की सूची जारी की जाए, जिन्होनें विंडो का लाभ उठाते हुए अपने एग्जाम सेंटर्स बदले।

उन्होंने आगे कहा, दुर्भाग्य यह भी है कि: आज रेल मंत्री हो, शिक्षा मंत्री हो, गृह मंत्री हो या प्रधानमंत्री..कोई जवाबदेही नहीं लेना चाहता है। UPA के शासन काल में सिर्फ आरोप लगने पर इस्तीफा दे दिया जाता था। आज मंत्री मुस्कुराते हुए आरोप देश के नागरिकों पर लगाता है कि ये ‘मोटिवेटेड प्रोटेस्ट’ हो रहा है।

 

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