फ़िल्म इंडस्ट्री में अपने शुरुआती कदमों को याद करते हुए कशिका बताती हैं कि उनसे कभी भी अपनी शक्ल-सूरत में बदलाव की मांग नहीं की गई। “मेरे नेचुरल लुक को बिना किसी शर्त के स्वीकार किया गया।” वे कहती हैं, यह बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि इंडस्ट्री को लेकर यह धारणा आम है कि हर कलाकार को ‘परफ़ेक्ट’ दिखने के लिए किसी न किसी बदलाव के दबाव से गुज़रना पड़ता है।
मुंबई: ग्लैमर की दुनिया को अक्सर चमक-दमक, मेकओवर और अवास्तविक ब्यूटी स्टैंडर्ड से जोड़कर देखा जाता है। लेकिन इसी बीच अभिनेत्री कशिका कपूर का हालिया बयान इंडस्ट्री की एक नई तस्वीर पेश करता है। एक ऐसी तस्वीर, जहां ‘नेचुरल’ होना कमज़ोरी नहीं, बल्कि एक ताक़त बनता जा रहा है।
फ़िल्म इंडस्ट्री में अपने शुरुआती कदमों को याद करते हुए कशिका बताती हैं कि उनसे कभी भी अपनी शक्ल-सूरत में बदलाव की मांग नहीं की गई। “मेरे नेचुरल लुक को बिना किसी शर्त के स्वीकार किया गया।” वे कहती हैं, यह बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि इंडस्ट्री को लेकर यह धारणा आम है कि हर कलाकार को ‘परफ़ेक्ट’ दिखने के लिए किसी न किसी बदलाव के दबाव से गुज़रना पड़ता है।
लेकिन कशिका का अनुभव बिल्कुल उलट रहा। उनके मुताबिक, बॉलीवुड और दक्षिण भारतीय सिनेमा दोनों ने उन्हें एक ऐसा माहौल दिया जहां टैलेंट, स्क्रीन प्रेज़ेंस और मेहनत को लुक्स से ज़्यादा महत्व मिला। उन्होंने बताया, “मुझसे कभी भी कोई कॉसमेटिक सर्जरी या और कोई बदलाव करवाने की बात नहीं हुई। मुझे जैसे हूं, वैसे ही स्वीकार किया गया।” यह स्वीकार्यता न सिर्फ़ उनके आत्मविश्वास को मज़बूत बनाती है, बल्कि इंडस्ट्री के बदलते नज़रिए का भी संकेत देती है।
कशिका का बयान ऐसे समय में सामने आया है जब दुनिया भर के कई सेलेब्स अवास्तविक सौंदर्य मानकों की आलोचना कर रहे हैं। सोशल मीडिया के दौर में जहां लोग फ़िल्टर वर्सन में खुद को कैद कर रहे हैं, वहीं कशिका जैसी नई पीढ़ी की कलाकारें अपने नेचुरल अप्रोच से लोगों को प्रेरित कर रही हैं। उनका मानना है कि इंडस्ट्री आज पहले से कहीं ज़्यादा समावेशी, संवेदनशील और प्रोग्रेसिव हो चुकी है। नए कलाकारों के लिए यह बदलाव बेहद अहम है क्योंकि इससे उन्हें एक स्वस्थ, आत्म-सम्मान बढ़ाने वाला और प्रोत्साहित करने वाला वातावरण मिलता है।
कशिका कपूर सिर्फ़ अपनी सुंदरता नहीं, बल्कि अपने दृष्टिकोण से भी इंडस्ट्री में एक ताज़गी लेकर आई हैं। उनका सफ़र ये बताता है कि ग्लैमर सिर्फ़ मेकअप और परफ़ेक्शन का नाम नहीं—यह आत्मविश्वास, सादगी और मौलिकता का भी उत्सव हो सकता है। कशिका जैसी आवाज़ें न केवल एक सकारात्मक बदलाव पैदा कर रही हैं, बल्कि नई पीढ़ी को यह भरोसा भी दिला रही हैं कि “अपने असली रूप में भी चमका जा सकता है।”