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‘अबकी बार 400 पार’ का नारा था झूठा , भाजपा सांसद राव इंद्रजीत, बोले- अगर मेरे कार्यकर्ता न होते तो शायद मैं चुनाव हार चुका होता

गुड़गांव लोकसभा सीट (Gurgaon Lok Sabha Seat) से भाजपा सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह (BJP MP and Union Minister of State Rao Indrajit Singh) ने 'अबकी बार 400 पार' (Abki Baar 400 Par) नारे के खिलाफ हमला बोला है। उन्होंने कहा कि ये नारा झूठा था। टीवी वाले मुझसे पूछते थे कि क्या 400 पार होगा, तो मैं कैसे बोलता?

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। गुड़गांव लोकसभा सीट (Gurgaon Lok Sabha Seat) से भाजपा सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह (BJP MP and Union Minister of State Rao Indrajit Singh) ने ‘अबकी बार 400 पार’ (Abki Baar 400 Par) नारे के खिलाफ हमला बोला है। उन्होंने कहा कि ये नारा झूठा था। टीवी वाले मुझसे पूछते थे कि क्या 400 पार होगा, तो मैं कैसे बोलता? राव इंद्रजीत (Rao Indrajit) ने भाजपा की हरियाणा ईकाई पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। राव ने आगे कहा कि यदि देहात के इलाकों में मेरे कार्यकर्ता नहीं होते तो शायद मैं यह चुनाव हार चुका होता।

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जीत का अंतर हुआ कम

बता दें कि राव इंद्रजीत सिंह (Rao Indrajit Singh) गुड़गांव लोकसभा सीट (Gurgaon Lok Sabha Seat) पर कांग्रेस के नेता राज बब्बर से 80 हजार से ज्यादा वोटों जीते हैं, लेकिन उनकी जीत का अंतर पिछले दो चुनावों से बहुत कम हो गया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में जहां वह 3 लाख से ज्यादा वोटों से जीते थे तो वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला होने के बाद भी वह बड़े अंतर से जीते थे।

पुराने विरोधियों से परेशान

2014 लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस से भाजपा में आ गए। राव के पीछे उनके कई पुराने विरोधी भी भाजपा में आ गए। जिनमें से कई सांसद तो कई विधायक पद के दावेदार हैं। इन नेताओं ने पार्टी के लिए मंच पर आकर एकजुटता नहीं दिखाई। भाजपा के शीर्ष नेता इस सीट को सबसे सुरक्षित मान कर चल रहे थे, लेकिन राज बब्बर के सामने राव को यह सीट जीतने में अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ा।

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15 दिन में ही मुकाबले में आए राज बब्बर

गुडगांव सीट से चुनाव लड़ रहे राजबब्बर ने राव को कड़ी चुनौती दी। दोपहर दो बजे तक वह आगे चलते रहे। कांग्रेसी नेता पंकज डाबर ने कहा कि टिकट फाइनल होने में देर हुई अगर यह कुछ दिन पहले घोषित हो जाता तो नतीजा कुछ और हो सकता था। केवल 15 दिन के चुनाव प्रचार ने राज बब्बर को लड़ाई में ला दिया।

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