1. हिन्दी समाचार
  2. देश
  3. वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट कल फिर करेगा सुनवाई, कोर्ट ने कोई अंतरिम आदेश नहीं सुनाया

वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट कल फिर करेगा सुनवाई, कोर्ट ने कोई अंतरिम आदेश नहीं सुनाया

वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई। ऐक्ट को लेकर दायर याचिकाओं पर कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी जैसे वकीलों ने दलीलें दीं। वहीं, केंद्र सरकार का पक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रखा।

By शिव मौर्या 
Updated Date

नई दिल्ली। वक्फ संशोधन अधिनियम (Wakf Amendment Act) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आज सुनवाई। ऐक्ट को लेकर दायर याचिकाओं पर कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी जैसे वकीलों ने दलीलें दीं। वहीं, केंद्र सरकार (Central government) का पक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रखा। गुरुवार को फिर इस मामले में सुनवाई होगी। सुनवाई शुरू होते ही मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने पक्षों से दो बिंदुओं पर विचार करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसके सामने दो सवाल हैं, पहला- क्या उसे मामले की सुनवाई करनी चाहिए या इसे हाईकोर्ट को सौंप देना चाहिए और दूसरा- वकील किन बिंदुओं पर बहस करना चाहते हैं।

पढ़ें :- IND vs SA 2nd T20I Live Streaming: आज दूसरे टी20 में साउथ अफ्रीका से भिड़ेगी भारतीय टीम; जानें- कब और कहां लाइव देख पाएंगे मैच

इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट के सामने कानून की खामियों को गिनाया, जबकि सरकार ने कानून के पक्ष में दलीलें दीं। कोर्ट ने ‘वक्फ बाय यूजर’ को लेकर भी सरकार से कठिन सवाल किए। इसके बाद केंद्र ने कोर्ट से मामले की सुनवाई कल करने का निवेदन किया। सरकार की बात मानते हुए कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए कल दोपहर दो बजे का समय तय किया। सुनवाई के दौरान सीजेआई ने यह भी कहा कि एक बात बहुत परेशान करने वाली है, वह है- हिंसा। यह मुद्दा न्यायालय के समक्ष है और हम इस पर निर्णय लेंगे। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए कि हिंसा का इस्तेमाल दबाव बनाने के लिए किया जाए।

इससे पहले याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अपनी दलीलें शुरू करते हुए कहा कि संसदीय कानून के जरिए जो करने की कोशिश की जा रही है, वह एक आस्था के आवश्यक और अभिन्न अंग में हस्तक्षेप करना है। अगर कोई वक्फ स्थापित करना चाहता है तो उसे यह दिखाना होगा कि वह पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहा है। राज्य को यह कैसे तय करना चाहिए कि वह व्यक्ति मुसलमान है या नहीं? व्यक्ति का पर्सनल लॉ लागू होगा।

कपिल सिब्बल ने दलील दी कि कलेक्टर वह अधिकारी होता है जो यह तय करता है कि कोई संपत्ति वक्फ है या नहीं। अगर कोई विवाद है तो वह सरकार का हिस्सा होता है और इस तरह वह अपने मामले में न्यायाधीश होता है। यह अपने आप में असंवैधानिक है। इसमें यह भी कहा गया है कि जब तक अधिकारी ऐसा फैसला नहीं करता, तब तक संपत्ति वक्फ नहीं होगी। उन्होंने आगे कहा कि पहले केवल मुसलमान ही वक्फ परिषद और बोर्ड का हिस्सा होते थे, लेकिन संशोधन के बाद अब हिंदू भी इसका हिस्सा हो सकते हैं। यह संसदीय अधिनियम द्वारा मौलिक अधिकारों का सीधा हनन है।

पढ़ें :- मैं फिर से दोहरा रहा हूं-वोट चोरी सबसे बड़ा देशद्रोह है...राहुल गांधी ने साधा निशाना
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...