जीवन शैली में भोजन का स्थान सबसे ऊपर है। भोजन का रिश्ता सेहत और मन दोनों से जुड़ा है।
Traditional Food Systems Metals: जीवन शैली में भोजन का स्थान सबसे ऊपर है। भोजन का रिश्ता सेहत और मन दोनों से जुड़ा है। भारतीय पाक शास्त्र में भोजन की पवित्रता और गुणवत्ता को लेकर विशेष ध्यान दिया जाता है।भारतीय पाक शास्त्र में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को विशेष स्थान दिया जाता है। भोजन का पकना , पचना और पाक वस्तुओं के मेल और भोजन के ग्रहण करने के पात्र को लेकर बहुत सार बातें बतायी गई है। जिनका पालन यहां सदियों से होता आ रहा है। भारतीय पाक शास्त्र और परंपरागत भोजन व्यवस्था में धातु विज्ञान का बहुत महत्व है।सोना, चांदी, कांसा/कांस्य, पीतल, तांबा आदि धातुओं के बर्तनों की प्रकृति और मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है।
सोने के बर्तन
विशुद्ध सोने के बर्तन का प्रयोग करने से शरीर में बल और वीर्य की वृद्धि होती है। स्वर्ण में रोग प्रतिरोधक शक्ति सबसे अधिक होती है। आयुर्वेद के अनुसार-‘‘स्वर्ण, स्थिरतादायक व दो प्रकार के स्थावर, जंगम विष, क्षय, उन्माद, तीनों दोष व ज्वर का नाशक है।’’
चांदी के बर्तन
चांदी की प्रकृति शीतल होती है। अत: चांदी के बर्तनों का प्रयोग पित्त को दूर करता है, मानसिक शांति व शरीर में शीतलता प्रदान करता है। यही नहीं, चांदी के बर्तनों का प्रयोग करने से आंखों की ज्योति भी बढ़ती है। आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार चांदी शीतल, कसैली, खट्टी, पाक में तथा रस में मधुर, दस्तावर, आयुस्थापक, स्निग्ध, रेचक, वात तथा पित्तर को जीतने वाली और प्रमेहादि रोगों को शीघ्र नष्ट करती है।
तांबे के बर्तन
तांबे के बर्तन में रखा बासी पानी पीने से पेट साफ हो जाता है। तांबे के बर्तन चूंकि अपेक्षाकृत अधिक भारी होते हैं, अत: उसमें खाना धीरे-धीरे पकता है जो अधिक पौष्टिक होता है। तेज आग पर खाना पकाने से भोजन में पौष्टिक तत्व कम हो जाते हैं।
पीतल के बर्तन
पीतल की प्रकृति गर्म होती है। अत: इन बर्तनों में बनाया गया भोजन कफ को दूर करता है। पीतल के बर्तनों में कीटाणुओं को नष्ट करने की क्षमता भी कम नहीं होती। अत: पीतल के बर्तनों में तैयार भोजन शरीर को निरोग रखता है।