पितृपक्ष के त्रयोदशी का श्राद्ध कल मनाया जाएगा। कल उन पित्रगणों का श्राद्ध किया जाएगा जिनकी मृत्यु त्रयोदशी तिथि को हुई है।
Trayodashi Shradh 2025 : पितृपक्ष के त्रयोदशी का श्राद्ध कल मनाया जाएगा। कल उन पित्रगणों का श्राद्ध किया जाएगा जिनकी मृत्यु त्रयोदशी तिथि को हुई है। इस श्राद्ध में मुख्य रूप से उन अल्पायु पितरों और मृत बच्चों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी आयु दो वर्ष से अधिक हो। इस बार त्रयोदशी तिथि पर शुक्र प्रदोष और मासिक शिवरात्रि का संगम होगा।
पंचांग के अनुसार इस बार त्रयोदशी तिथि पर सूर्य कन्या राशि में रहेंगे और चंद्रमा सुबह 7 बजकर 5 मिनट तक कर्क राशि में रहेंगे। इसके बाद सिंह राशि में गोचर करेंगे। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 50 मिनट से शुरू होकर दोपहर के 12 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। आइए इसके धार्मिक महत्व को विस्तार से जानते हैं।
कुतुप मुहूर्त
त्रयोदशी श्राद्ध में तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मण भोज के साथ पितरों को अन्न-जल का भोग लगाया जाता है। पितृ पक्ष में पार्वण श्राद्ध के लिए कुतुप (सुबह 11 बजकर 30 मिनट से 12 बजकर 42 मिनट के बीच) और रौहिण मुहूर्त शुभ माने जाते हैं।
अकाल मृत्यु वालों का श्राद्ध
धार्मिक मान्यता है कि अकाल मृत्यु वाले पितरों का श्राद्ध और पिंडदान गया जी स्थित प्रेतशिला पर्वत पर किया जाता है। यह प्रेतशिला पर्वत पितृ तर्पण (Pretashila Mountain Pitru Tarpan) और और पिंडदान के लिए पवित्र स्थल है, जहाँ पिंड चढ़ाने से पितरों को प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है। यहां अकाल मृत्यु वाले पितरों का सत्तू से पिंडदान करने करने की परंपरा है।