India-Pakistan Ceasefire Dispute: भारत-पाकिस्तान सीजफायर के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप देश में चर्चा का विषय बने हुए हैं। विपक्षी दल ने दोनों देशों के आपसी मामले में अमेरिकी के दखल देने पर नाराजगी जाहिर की है। इस बीच पाकिस्तान और एक क्रिप्टोकरेंसी कंपनी, वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल (WLF) के बीच बड़ी डील की बात सामने आयी है। इस कंपनी में ट्रंप के परिवार की 60 फीसदी हिस्सेदारी बतायी जा रही है। जिसके बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या ट्रंप ने दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने के बजाय अपने परिवार के फायदे को ध्यान में कथित मध्यस्थता कराई?
India-Pakistan Ceasefire Dispute: भारत-पाकिस्तान सीजफायर के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप देश में चर्चा का विषय बने हुए हैं। विपक्षी दल ने दोनों देशों के आपसी मामले में अमेरिकी के दखल देने पर नाराजगी जाहिर की है। इस बीच पाकिस्तान और एक क्रिप्टोकरेंसी कंपनी, वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल (WLF) के बीच बड़ी डील की बात सामने आयी है। इस कंपनी में ट्रंप के परिवार की 60 फीसदी हिस्सेदारी बतायी जा रही है। जिसके बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या ट्रंप ने दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने के बजाय अपने परिवार के फायदे को ध्यान में कथित मध्यस्थता कराई?
दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर था, इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म दोनों देशों के बीच सीजफायर की जानकारी दी। इसके बाद ट्रंप ने कई पोस्ट किए, जिनमें वह भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता को लेकर अपनी पीट थपथपाते नजर आए। हालांकि, अमेरिका का रवैया कुछ दिन पहले उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के बयान से अलग था। जिसमें वेंस ने कहा, “हम जो कर सकते हैं, वह यह है कि इन लोगों को तनाव कम करने के लिए प्रोत्साहित करें, लेकिन हम ऐसे युद्ध में शामिल नहीं होने जा रहे हैं, जो मूल रूप से हमारा कोई काम नहीं है और जिसका अमेरिका की इसे नियंत्रित करने की क्षमता से कोई लेना-देना नहीं है।”
पाकिस्तान और ट्रंप के परिवार की कंपनी के बीच डील
रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान की जल्दीबाजी में बनाई गई ‘पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल’ और ट्रंप के परिवार की हिस्सेदारी वाली वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल (WLF) के बीच साइन की गई थी। ‘पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल’ ने हाल ही में बाइनेंस के फाउंडर और दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज के सीईओ चांगपेंग झाओ को अपना सलाहकार नियुक्त किया है। उसका उद्देश्य पाकिस्तान को साउथ एशिया की क्रिप्टो राजधानी बनाना है।
‘पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल’ मात्र एक महीने पुरानी थी, लेकिन डील के लिए वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल (WLF) के प्रतिनिधिमंडल में बड़ी हस्तियां शामिल रहीं। इनमें ट्रंप के गोल्फ बडी स्टीव विटकॉफ के बेटे जैकरी विटकॉफ प्रमुख थे। विटकॉफ खुद न्यूयॉर्क के बड़े रियल एस्टेट अरबपति माने जाते हैं। वह ट्रंप के मार-ए-लागो रिसॉर्ट के नियमित सदस्य हैं। डब्ल्यूएफ में ट्रंप के बेटे एरिक और डोनाल्ड ट्रंप जूनियर, साथ ही उनके दामाद जैरेड कुश्नर भी हिस्सेदार हैं। ये सभी हाल के वर्षों में दुनिया भर में फायदे के सौदे तलाशते रहे हैं। इन पर व्हाइट हाउस के रसूख का इस्तेमाल करने का आरोप भी लगता रहा है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि डब्ल्यूएफ (WLF) एक डीसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस प्लेटफॉर्म है, जिसकी 60% हिस्सेदारी DT Marks DEFI LLC के पास है, जो ट्रंप परिवार से संबद्ध एक इकाई है। यह इकाई टोकन बिक्री से होने वाली 75 फीसदी आय की हकदार है। ट्रंप को कंपनी का “चीफ क्रिप्टो एडवोकेट” नामित किया गया है, जबकि उनके बेटे एरिक और डोनाल्ड जूनियर “वेब3 एंबेसडर” और सबसे छोटा बेटा बैरन “DeFi विजनरी” के रूप में लिस्टेड हैं। एरिक ट्रंप WLF होल्डको LLC के बोर्ड ऑफ मैनेजर्स में भी शामिल हैं।
22 अप्रैल को पहलगाम अटैक के बाद, पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल और वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल ने 26 अप्रैल को इस्लामाबाद में एक पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान में ब्लॉकचेन तकनीक, स्टेबलकॉइन अपनाने और डीसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस (DeFi) को बढ़ावा देना है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ट्रंप ने अपने परिवार के फायदे के लिए पाकिस्तान को भारत के कहर से बचाया? क्या ट्रंप ने अपने परिवार के फायदे को ध्यान में रखते हुए भारत-पाकिस्तान के बीच कथित मध्यस्थता कराई?