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‘ट्रंप ने भारत पर कार्रवाई रोकने का दबाव बनाया, यह सरकार की कमजोरी को दर्शाता है…’ शिवसेना का सीजफायर पर बड़ा बयान

India-Pakistan Ceasefire: भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य संचालन महानिदेशकों (डीजीएमओ) के स्तर पर बातचीत के बाद सीजफायर पर शनिवार को सहमति बनी। जिसके बाद दोनों देश सभी प्रकार की सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमत हुए हैं। इस बीच भारत-पाकिस्तान सीजफायर को लेकर अमेरिका अपनी पीठ थपथपा रहा है। लेकिन, सीजफायर की घोषणा के बावजूद पाकिस्तान की ओर से ड्रोन हमले किए गए। वहीं, शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने सीजफायर को लेकर सरकार पर हमला बोला है।

By Abhimanyu 
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India-Pakistan Ceasefire: भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य संचालन महानिदेशकों (डीजीएमओ) के स्तर पर बातचीत के बाद सीजफायर पर शनिवार को सहमति बनी। जिसके बाद दोनों देश सभी प्रकार की सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमत हुए हैं। इस बीच भारत-पाकिस्तान सीजफायर को लेकर अमेरिका अपनी पीठ थपथपा रहा है। लेकिन, सीजफायर की घोषणा के बावजूद पाकिस्तान की ओर से ड्रोन हमले किए गए। वहीं, शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने सीजफायर को लेकर सरकार पर हमला बोला है।

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मुंबई में शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, “अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने इजरायल-गाजा युद्ध को क्यों नहीं रोका? यह अभी भी जारी है। राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर पाकिस्तान के खिलाफ अपनी कार्रवाई रोकने का दबाव बनाया। कोई भी अन्य राष्ट्रपति हमारे देश के मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। यह हमारी संप्रभुता पर हमला है और यह हमारी सरकार की कमजोरी को दर्शाता है।” संजय राउत के अलावा, आरजेडी सांसद मनोज झा ने भी भारत-पाकिस्तान संघर्ष पर कथित अमेरिकी हस्तक्षेप पर सवाल खड़े किए हैं।

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एक समाचार एजेंसी से मनोज झा ने कहा, “हम पीड़ित थे, और हमने यह सुनिश्चित करते हुए सटीकता से निशाना साधा कि कोई नागरिक हताहत न हो, और 9 आतंकी ठिकानों पर हमला किया। लेकिन हमने अपने लोगों, अधिकारियों को खो दिया। यह दो सेनाओं के बीच का अंतर है – भारत की एक पेशेवर सेना और एक दुष्ट देश पाकिस्तान की सेना। लेकिन, हमारी ब्रीफिंग से पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति ने युद्ध विराम की घोषणा की, जो शिमला समझौते के अनुसार भी सही नहीं है। सरकार ने इस दावे का खंडन करने की कोशिश की और कहा कि ऐसा कोई हस्तक्षेप नहीं हुआ था। लेकिन, पूरी दुनिया के तथाकथित ‘सरपंच’ द्वारा किया गया यह प्रयास हमारे जैसे लोकतांत्रिक देश के लिए अच्छा नहीं है।”

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